Amla Navami Ki Katha : संतान प्राप्‍त‍ि का फल देती है आंवला नवमी पर व‍िष्‍णु जी की पूजा, जानें इस व्रत की कथा

Amla Navami 2020 : कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मनाए जाने वाली आंवला नवमी का खासा महत्‍व माना जाता है। व‍िष्‍णु जी के प्र‍िय इस व्रत की कथा सुनने से असीम पुण्‍य की प्राप्‍त‍ि होती है।

Amla Navami ki katha kahani in hindi
Amla Navami ki katha kahani in hindi  
मुख्य बातें
  • आंवला नवमी का व्रत भगवान व‍िष्‍णु को बेहद प्र‍िय है
  • यह दीपावली के नौ द‍िन बाद आता है
  • इस द‍िन पेड़ के नीचे भोजन करने की परंपरा है

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आंवला नवमी हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण व्रत है। आंवला नवमी हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पड़ता है। इसे अक्षय नवमी के तौर पर भी मनाया जाता है। यह कहा जाता है कि इस दिन आंवला के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने से रोगों का नाश होता है। 

हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो भी महिला संतान प्राप्ति के लिए और संतान की‌ शुभकामनाओं के लिए आंवले के पेड़ की पूजा करती है उसकी इच्छाओं को भगवान शिव और विष्णु जरूर पूरा करते हैं। यह कहा जाता है कि इस दिन किए गए अच्छे कामों का‌ फल जन्मो जन्म तक रहता है। 

आंवला नवमी तिथि (Amla Navami 2020 Tithi)

आंवला नवमी हर साल दीपावली के 9 दिन बाद मनाई जाती है। इस साल 14 नवंबर को दीपावली पड़ी थी इसके ठीक 9 दिन बाद 23 नवंबर को आंवला नवमी यानी अक्षय नवमी मनाई जाएगी। 

आंवला नवमी की प्रसिद्ध कथा (Amla Navami ki Katha)

यह बात काशी नगर की है जहां एक निसंतान वैश्य रहता था। उसकी एक पत्नी थी, यह‌ दंपत्ति संतान की प्राप्ति के लिए अनेकों प्रयास कर चुके थे लेकिन इन्हें कोई खुशखबरी नहीं मिल रही थी। एक दिन वैश्य की पड़ोसन ने उसकी बीवी को एक उपाय बताया। उसकी पड़ोसन ने कहा कि एक बालक की बली भैरव के नाम से चढ़ा दो तो तुम्हें पुत्र प्राप्ति होगी। वैश्य की पत्नी ने जब यह बात अपने पति से बताया तो उसने इस बात को सीधा नकार दिया। फिर उस वैश्य की पत्नी किसी पराए बालक की बलि देने के लिए सही समय का इंतजार करने लगी। सही मौका मिलने पर उसने एक लड़की को कुएं के अंदर गिरा दिया और भैरव के नाम से बली दे दी। उसने धर्म की जगह अधर्म किया इसीलिए उसके पूरे बदन में कोढ़ हो गया। 

जब यह बात वैश्य को पता चली तो उसने बोला गोवध, ब्राह्मण वध और बाल वध करना अधर्म है। इस कष्ट से छुटकारा पाने के लिए गंगा की शरण में जाना उचित होगा। अपने पति की बात मानकर वह गंगा मां के शरण में गई। गंगा मैया ने फिर वैश्य की पत्नी को कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन आंवले के पेड़ का पूजन और आंवले का सेवन करने के लिए कहा। वैश्य की पत्नी ने ठीक वैसा ही किया और वह इस कष्ट से मुक्त हो गई।‌ यह व्रत और पूजा करने से उसे कुछ दिनों बाद संतान की प्राप्ति हुई। तब से लेकर अब तक लोग इस परंपरा को मानते हैं और विधि के अनुसार व्रत को पूरा करते हैं। ‌

आंवला नवमी की पूजा विधि (Amla Navami ki Puja kaise karein)

इस दिन सूर्योदय से पहले नित्य कर्मों से निवृत्त होकर और स्नान करके आंवले के पेड़ की पूजा करें। पूजा के दौरान आंवले की जड़ में दूध चढ़ाएं और रोली, अक्षत, फल-फूल आदि से पेड़ की पूजा अर्चना करें। यह सब करने के बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा सात बात कीजिए और दीया जलाइए। फिर इस पेड़ के नीचे बैठकर कथा सुनिए या पढ़िए। 

आंवला नवमी का धार्मिक महत्व (Amla Navami dk Mahatva) 

पद्म पुराण में यह कहा गया है कि भगवान विष्णु को आंवले का फल बहुत अच्छा लगता है और इससे शुभ माना गया है। भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करने के लिए लोग इस फल को चढ़ाते हैं और यह माना जाता है कि इस फल को खाने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आंवला हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है इसे खाने से आयु बढ़ती है। यह कहा जाता है कि इसका रस पीने से धर्म-संचय होता है। आंवले‌‌ का पानी दरिद्रता दूर करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि जहां भी आंवले का फल मौजूद होता है वहां भगवान विष्णु का वास होता है। उनके साथ भगवान ब्रह्मा और माता लक्ष्मी भी वास करते हैं। इसीलिए हिंदू घरों में आंवले का पेड़ रखना शुभ माना जाता है। पद्म पुराण में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि भगवान शिव ने एक बार कार्तिक से कहा था कि आंवले का पेड़ साक्षात भगवान विष्णु का रूप है। यह फल भगवान विष्णु को बहुत पसंद है इसलिए इसको याद करने से ही गोदान जितना फल मिलता है। 

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