स्कंद पुराण में इस बात का उल्लेख है कि प्रदोष काल (शाम) में यमराज के पुराने दीपक में दीप जलाना अकाल मृत्यु के संकट से बचाता है। इसलिए छोटी दीवाली यानी नरक चतुर्दशी के दिन परिवार के सभी सदस्य के घर आने के बाद यम का दीया घर के बाहर जरूर जलाएं। ऐसा कर के आप अपने और अपने परिवार पर आने वाले अकाल मृत्यु के संकट को टाल सकते हैं। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहा जाता है।
आईएसएम दिन संध्या बेला में भगवान गणपति और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ यम को भी पूजा जाता है और रात में यम का दीया निकाला जाता है। यम का दीया निकालने का भी एक तरीका होता है। इसकी दिशा भी अलग होती है और इसके विधान भी थोड़े अलग होते हैं। तो आइए जानें कि कैसे इस प्रथा की शुरुआत हुई और यम का दीप जलाने का तरीका क्या है।
ऐसे जलाएं यम का दीया
सुबह उठ कर शरीर पर तिल का तेल मलें और स्नान करें। अब जब रात में परिवार के सभी सदस्य जब घर आ जाएं और उनका खाना पीना हो जाए और वे सोने चले जाएं, तब आपको यम के दीये की तैयारी करनी चाहिए।
इस जगह पर जलाएं यम दीया
इसके लिए एक पुराना दीया लें और उसमें तिल या सरसों का तेल डाल कर उसमें रुई की बाती डाल दें। अब इस दीये को घर के बाहर कूड़े या किसी नाली के पास जलाना होगा।
दीप जलाने के बाद मुड़ कर ना देखें
नहीं होगा अकाल मृत्यु का डर
स्कंद पुराण के अनुसार धनतेरस के दिन यम का ये दीपक जाने से पूरे परिवार पर से मृत्यु का संकट टल जाता है। यम का दीया जलाने से यमराज खुश होतें हैं और उस घर से दूर रहते हैं।
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