नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। उनको मां दुर्गा की 9वीं शक्ति बताया जाता है। इनकी उपासना से तमाम सिद्धियों की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि पूरी विधि से उनकी साधना करने वाले को पूर्ण सृष्टि का ज्ञान प्राप्त होता है और उसमें ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने की क्षमता आ जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।
देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि -
माता दुर्गा के नौवें रूप को प्रणाम करते हुए इस स्तुति का जाप करें-
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मातासिद्धिदात्री की आराधना से जातक को अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व आदि समस्त सिद्धियों एवं नवनिधियों की प्राप्ति होती है। इनकी उपासना से आर्तजनों के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
मां सिद्धिदात्री को लगाएं इस चीज का भोग-
मां सिद्धिदात्री को लाल और पीला रंग अति पसंद है। वहीं अगर दलके मनपसंद भोग की बात करें तो उन्हें नारियल, खीर, नैवेद्य और पंचामृत पसंद है।
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