Ganesh Chaturthi Puja muhurat and Timing: गणपत‍ि की मूर्ति स्‍थापना का शुभ मुहूर्त और समय

Ganesh Puja shubh muhurat, timing: विघ्नहर्ता गणेशजी का जन्मोत्सव 22 अगस्त को है। गणेश चतुर्थी पर प्रतिमा स्थापना के शुभ मुहुर्त के साथ यह भी जानें कि, इस दिन रात में आसमान में देखना क्यों मना है।

Ganpati Janmotsav Muhurt and Caution, गणपति जन्मोत्सव मुर्हूत और सावधानी
Ganpati Janmotsav Muhurt and Caution, गणपति जन्मोत्सव मुर्हूत और सावधानी 
मुख्य बातें
  • क‍िस समय करें घर पर गणपत‍ि जी की स्‍थापना
  • गणेश पूजा के दिन शाम के समय आसमान मे देखना मना है
  • श्रीकृष्ण ने चतुर्थी का चांद देखा था, जिससे उन पर लगा था मिथ्या आरोप

भगवान गणपति बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता माने गए हैं। उनका जन्म भाद्रपद के महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। ज्ञान और शुभता के देवता गणपति जी जन्मोत्सव को दस दिनों तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन गणपति जी की प्रतिमा को स्थापित करने के बाद भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार एक, तीन, पांच या पूरे दस दिन तक विराजित कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। अनन्त चतुर्दशी के दिन गणपति जी को 56 भोग लगाने के बाद विसर्जित किया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 22 अगस्त दिन शनिवार को है। घर में भगवान गणेश को स्थापित करने से पहले गणेश चतुर्थी तिथि कब से लग रही है - यह जान लें।

गणेश चतुर्थी कब शुरू होगी

चतुर्थी तिथि 21 अगस्त को रात 11:02 बजे से शुरू होकर 22 अगस्त को शाम 7:57 बजे तक रहेगी। 

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गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त व अन्य विवरण

पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी पूजा के लिए पूजा मुहूर्त 22 अगस्त को सुबह 11:25 बजे से दोपहर 1:57 बजे के बीच होगा। गणेश चतुर्थी पूजा आमतौर पर मध्याह्न अर्थात दोपहर के दौरान की जाती है। इस मुहूर्त के बीच ही आपको गणपति जी की प्रतिमा की स्थापना करनी होगी। गणेश चतुर्थी के इस विवरण को देखें: 

गणेश चतुर्थी शनिवार, अगस्त 22, 2020 को

पूजा का समय- 11:25 बजे से दोपहर 1:57 बजे के बीच होगा

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 21, 2020 को 11:07 बजे रात से

चतुर्थी तिथि समाप्त – अगस्त 22, 2020 को रात 7:57 बजे

गणेश चतुर्थी पर ये सावधानी जरूर बरतें

गणेश चतुर्थी के दिन भक्तों को चंद्रमा देखने की मनाही है। इसलिए शाम होने के बाद से ही आसमान की ओर देखने से बचें। मान्यता है कि इस दिन यदि कोई चांद देखता है तो उसे मिथ्या आरोप का सामना करना पड़ता है। भगवान श्रीकृष्ण भी इस संकट से नहीं बच सके थे। 

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गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी या गणेशोत्सव का आयोजन भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन गणपति जी के जन्म लेने की खुशी में मनाया जाता है। गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय हैं और इस दिन गणपति बप्पा को लोग अपने घरों में स्थापित कर विधि-विधान से पूजते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन उनका विसर्जन करते हैं। मान्यता है कि गणपति जी की पूजा से भक्तों के सारी विध्न, बाधाएं दूर हो जाती है और सुख-समृद्धी के साथ ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

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