Ganga Saptami 2020: गंगा सप्तमी आज, जानें इस दिन कैसे की जाती है पूजा

Ganga Saptami: गंगा सप्तमी यानी गंगा जयंती के दिन गंगा का पुनर्जन्म हुआ था और इस दिन गंगा पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन गंगा स्नान और पूजा का महत्व बहुत माना गया है।

Ganga Saptami Puja, गंगा सप्तमी पूजा
Ganga Saptami Puja, गंगा सप्तमी पूजा 
मुख्य बातें
  • भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर गंगा धरती पर उतरीं थीं
  • गंगा के प्रवाह वेग से नष्ट हो गया था ऋषि का आश्रम
  • ऋषि जाह्नु गंगा के प्रवाह वेग से क्रोधित हो गए थे

पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा पृथ्वी पर उतरी थीं। देवी गंगा इस दिन भगवान शंकर के जटा से होते हुए धरती पर आईं थी। कहा जाता है कि देवी गंगा का प्रवाह बेहद तीव्र था और यदि वह सीधे धरती पर आतीं तो धरती का संतुलन बिगड़ सकता था, इसलिए वह धरती पर भगवान शंकर की जटा से होते हुए उतरीं। गंगा का यह पहला जन्म धरती पर था, लेकिन गंगा को एक बार ऋषि जह्नु क्रोधित होकर पी गए थे और देवताओं के मनाने के बाद उन्होंने गंगा को पुन: अपने कान से धरती पर उतारा। इस दिन गंगा का पुर्नजन्म माना जाता है और इस उपल्क्ष्य में गंगा जयंती या गंगा सप्तमी मनाई जाती है।

जानें क्यों पी गए थे ऋषि जह्नु गंगा का जल

जब भागीरथ अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए गंगा को धरती पर लाने में सफल हो गए तब भगवान शंकर ने अपनी जटा में लपेट कर देवी गंगा को धरती पर अवतरित किया, लेकिन देवी गंगा का प्रवाह इतना तेज था कि उनकी राह में आने वाले बहुत से वन, आश्रम नष्ट हो गए। देवी गंगा की राह में ही ऋषि ह्नु का आश्रम भी पड़ा और उनका आश्रम भी तबाह हो गया। ये देख कर ऋषि जह्नु बेहद क्रोधित हो गए और अपने तप-बल से गंगा का सारा जल पी गए। भगीरथ को जब पता चला तो वह ऋषि जह्नु को प्रसन्न करने के लिए तप करने लगे। तब देवताओं ने भी ऋषि जाह्नु से अनुरोध किया की वह गंगा को मुक्त कर दें। जब ऋषि जह्नु का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने अपने कान से गंगा को धरती पर मुक्त किया और इस दिन गंगा का पुर्नजन्म हुआ। यही कारण है कि गंगा को जाहन्वी भी कहा जाता है। वैशाख मास की शुक्ल सप्तमी के दिन तब से गंगा सप्तमी और गंगा सप्तमी मनाया जाने लगा।

ऐसे करें गंगा सप्तमी पर पूजा

गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व होता है। इस दिन यदि गंगा स्नान न कर पाएं तो आप अपने नहाने के जल में गंगा जल की कुछ बूंदें मिला लें। स्नान के पश्चात मां गंगा की पूजा करें और भगवान शिव की भी अराधना करनी चाहिए। साथ ही दान-पुण्य करना भी इस दिन बहुत पुण्यकारी माना गया है। गरीब और जरूरतमंद को इस दिन दान देना कई जन्मों के कष्ट को दूर कर सकता है।   

                                          

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