Holashtak: होलाष्टक के दौरान भूलकर भी ना करें यह काम, मृत्यु से लेकर हो सकते हैं ये अनर्थ

होली से 8 दिन पहले होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है जिसमें शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इन 8 दिनों में भगवान की पूजा और उनको स्मरण करना बहुत फायदेमंद होता है।

Holashtak
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मुख्य बातें
  • इस वर्ष 22 मार्च से प्रारंभ हो रहा है होलाष्टक, 8 दिन की यह समयावधि होगी 28 मार्च को खत्म
  • होलाष्टक में शुभ कार्य करना माना जाता है वर्जित, नहीं तो हो सकता है अनर्थ
  • होलाष्टक में भगवान को स्मरण करना माना जाता है लाभदायक

नई दिल्ली. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक रहता है। होलाष्टक कुल 8 दिनों तक मनाया जाता है जिसमें कई शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। 

होलाष्टक इस साल  22 मार्च को शुरू हो रहा है। ये होलिका दहन के दिन यानी 28 मार्च को समाप्त होगा। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, होलाष्टक होली के पर्व के आने का प्रतीक है और इस दिन से होलिका दहन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। 

होलाष्टक समाप्त होने के अगले दिन रंगों का त्योहार पड़ता है यानी होली मनाई जाती है। इस वर्ष 28 मार्च को होलाष्टक समाप्त हो रहा है मतलब 29 मार्च को होली मनाई जाएगी।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक में ग्रह उग्र स्वभाव में परिवर्तित होते हैं। इस समय में किए गए शुभ कामों का फल कभी भी फलदायक नहीं होता है। यहां जानिए होलाष्टक में क्यों नहीं करने चाहिए शुभ कार्य, कौन से कार्य माने जाते हैं वर्जित और कौन से कार्य करना रहेगा शुभ। 

होलाष्टक में क्यों शुभ कार्य करना माना जाता है वर्जित?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के अष्टमी पर चंद्रमा, नवमी पर सूर्य, दशमी पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा पर राहु उग्र स्वभाव में परिवर्तित होते हैं जिसके वजह से निर्णय लेने में मुश्किलें आती हैं।

 होलाष्टक में किए गए शुभ कार्यों का फल हानि में तब्दील हो जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा नीच राशि में है या फिर वृश्चिक राशि के जातक या चंद्र कुंडली के छठे या आठवें स्थान पर है तो ऐसे लोगों को विशेष ध्यान देने की और नियमों का पालन करने की जरूरत है। 

होलाष्टक पर क्या करें?
ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों के अनुसार, होलाष्टक में भगवान की पूजा करना और उन्हें याद करना बहुत लाभदायक रहेगा। होलाष्टक कर्ज मुक्ति के लिए भी बहुत अनुकूल माना गया है। 

अगर आप अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं और कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं तो होलाष्टक में श्रीसूतक या फिर मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ कीजिए। इन 8 दिनों में भगवान नृसिंह और संकट मोचन हनुमान जी की पूजा करना बहुत फायदेमंद माना जाता है। 

होलाष्टक के शुरुआत में दो डंडे गाड़े जाते हैं और उनके आसपास लकड़ी, घास और गोबर के उपले स्थापित किए जाते हैं फिर होलिका दहन के दिन इन्हें जला दिया जाता है। 

होलाष्टक में क्या ना करें?
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, होलाष्टक में विवाह करना, घर खरीदना, वाहन खरीदना, 16 संस्कार करना, भूमि पूजन, नया व्यापार प्रारंभ करना, नई वस्तु खरीदना, यात्रा करना गृह प्रवेश करना आदि शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। 

होलाष्टक में विवाहिताओं को अपने मायके में रहना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि होलाष्टक में अगर कोई इंसान नए या शुभ कार्य करता है तो कष्ट और पीड़ा सहने की आशंका बढ़ जाती है। होलाष्टक में अकाल मृत्यु और बीमारी का खतरा भी बना रहता है।


 

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