भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को हुआ था। भगवान ने धरती पर जन्म असुरों के बढ़ रहे अत्याचार और कंस के विशान के लिए ही लिया था। जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करने के साथ व्रत भी रखते हैं। जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे भगवान के जन्म होने पर विशेष पूजा होती है और घंटे-घड़ियाल बजा कर उनके जन्म पर खुशियां बांटी जाती हैं।
जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को झूला झुुलाने का विशेष महत्व होता है। तो आइए आपको भगवान कृष्ण की पूजा से जुड़ी समस्त जानकारी देने के साथ विशेष मंत्रों के बारे में भी बताएं।
ऐसे करें जन्माष्टमी पर व्रत और पूजा
ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये,
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥
'प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः।
वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः।
सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।'
अंत में प्रसाद वितरण करें और भजन-कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करें।
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