Mahalakshmi Vrat 2021: आज है महालक्ष्मी व्रत का समापन, जानिए इसका महत्व एवं पूजा अनुष्ठान की विधि 

Mahalakshmi Vrat End Date 2021: महालक्ष्मी व्रत धन प्राप्ति के लिए सनातन धर्म में बेहद लाभदायक माना गया है। महालक्ष्मी व्रत का समापन आज यानि 28 सितंबर को हो रहा है। 

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महालक्ष्मी व्रत की समापन तिथि, महत्व व पूजा विधि (Pic: Istock) 
मुख्य बातें
  • भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है महालक्ष्मी व्रत।
  • 28 सितंबर 2021 के दिन होगा महालक्ष्मी व्रत का समापन। 
  • धन प्राप्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना गया है महालक्ष्मी व्रत।

Mahalakshmi Vrat 2021 End Date: महालक्ष्मी व्रत धन की देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। 16 दिनों तक चलने वाले इस व्रत को महालक्ष्मी व्रत के नाम से जाना गया है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है और 16 दिनों तक मनाया जाता है। वर्ष 2021 में महालक्ष्मी व्रत 13 सितंबर से शुरू हो चुका है। मुख्य रूप से यह व्रत गणेश चतुर्थी के 4 दिन बाद से प्रारंभ होता है। भविष्य पुराण में यह उल्लेखित है कि, जब जुए में कौरवों के हाथों पांडवों की हार हुई थी और उन्हें अपना धन गंवाना पड़ा था , तब धन प्राप्ति के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछा था। तब श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को महालक्ष्मी व्रत करने का उपाय बताया था। तब से लेकर अब तक लोग भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत रखते हैं। 

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वर्ष 2021 में महालक्ष्मी व्रत 13 सितंबर से प्रारंभ हुआ था। यह व्रत 28 सितंबर को समाप्त होने जा रहा है। 28 सितंबर को अष्टमी तिथि शाम 06:17 से प्रारंभ हो रही है जो 29 सितंबर रात 08:30 बजे समाप्त होगी। ‌

महालक्ष्मी व्रत का महत्व

कौरवों से धन हारने के बाद पांडव धन प्राप्ति के लिए उपाय ढूंढ रहे थे। तब श्री कृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत करने की सलाह दी थी। महालक्ष्मी व्रत करने वाले भक्तों को अपार धन की प्राप्ति होती है। माता महालक्ष्मी को प्रसन्न करने से भक्तों के जीवन में धन और समृद्धि आती है। 

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि

महालक्ष्मी व्रत के समापन के दिन सुबह जल्दी नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद अपने पूजा घर को साफ करें और व्रत करने का संकल्प लें। ‌अब एक चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें और इसके पास श्री यंत्र रखें। एक कलश में जल भरकर उस पर नारियल रख दें और इसे मां लक्ष्मी के मूर्ति के सामने रखें। इसके पश्चात मां लक्ष्मी को फल, नैवेद्य तथा फूल चढ़ाएं और दीपक या धूप जलाएं। आप माता लक्ष्मी की पूजा करें तथा महालक्ष्मी स्त्रोत का जाप करें। महालक्ष्मी व्रत के प्रत्येक दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने की विधि है। महालक्ष्मी व्रत के समापन तिथि पर कलश की पूजा करने की परंपरा है। महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए नौ अलग-अलग प्रकार की मिठाई और सेवइयां अर्पित करें। 

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