धन-यश और सुख पाने के लिये इस विधि से करें महालक्ष्‍मी व्रत पूजा, 16 गांठ वाला धागा भी करेगा कमाल

व्रत-त्‍यौहार
Updated Sep 21, 2019 | 07:30 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक चलता है। ये व्रत 16 या तीन दिन करना चाहिए। महालक्ष्मी की पूजा से धन-दौलत, वैभव की प्राप्ति होती है। जानें इस व्रत की

 Mahalaxmi Vrat 2019
Mahalaxmi Vrat 2019   |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • महालक्ष्मी पूजा से धन-दौलत, वैभव की प्राप्ति होती है
  • तस्वीर को सफेद और प्रतिमा को लाल आसन दें
  • मुख्य बिंदुपूजा के अंतिम दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना होता है जरूरी

वैसे तो महालक्ष्मी माता का व्रत 16 दिन किया जाना चाहिए लेकिन यदि कोई इसे पूरा न कर सके तो उसे तीन दिन का व्रत रखना चाहिए। इसके लिए व्रत का पहला दिन, आठवां दिन और सोलहवां यानी अंतिम दिन का व्रत जरूर रखना चाहिए। यदि आप व्रत कर रहे हों या नहीं कर रहे हो तो भी पूजा का तरीका एक ही होगा। हर दिन माता महालक्ष्मी की पूजा 16 दिन तक जरूर करें।

रोज अपनी अंजलि में जल लेकर 16 बार कुल्ला करें और फिर स्नान करें। और व्रत या पूजा का संकल्प लें। इसके बाद माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर की स्थापना अपने घर के पूजा घर में करें।

जानें माता महालक्षमी की पूजा विधि
कलश स्थापना कर दक्षिण-पूर्व में स्थापित करें प्रतिमा पूजा घर में प्रतिमा के समक्ष कलश स्थापना करें। कलश पर एक जटा वाला नारियल लाल कपड़े में लपेट कर रखें इसके बाद महालक्ष्मी की स्थापना दक्षिण-पूर्व कोने में करें। लकड़ी की चौकी लेकर उस पर श्वेत रेशमी कपड़े का आसन लगा मां लक्ष्मी को विराजें। यदि तस्वीर की जगह प्रतिमा है तो उसे लाल वस्त्र का आसन दें। कलश के बगल में अखण्ड ज्योति जलाएं जो सोलह दिन लगातार जलती रहनी चाहिए। इसके बाद मेवा-मिठाई या सफेद दूध की बर्फी का भोग लगाएं। अब रक्षाधागा के टुकडें करें और फिर उसमें 16 गांठ लगाएं और अगले दिन ये रक्षा धागा परिवार के हर सदस्य को बांध दें। इसके बाद इसे उतारकर लक्ष्मी जी के चरणों में रख दें।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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करें इस मंत्र का जाप - ‘ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः’।
यदि ये मंत्र न बोल पाएं तो केवल एकाक्षरी मंत्र भी कारगर होगा। इसके लिए आप केलव “श्रीं ह्रीं श्रीं’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद स्फटिक या कमगट्टे की माला से इस मंत्र को 108 बार जपें। इसके बाद आंतिम दिन रात में पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य जरूर दें।

पूजा के बाद सुनें महालक्ष्मी व्रत कथा
प्राचीन समय में एक ब्राह्मण भगवान विष्णु को अन्नय भक्त था। वह नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करता था। लेकिरन वह बेहद गरीब था और कई बार उसके घर में खाने को भी नहीं रहता था, लेकिन वह भगवान विष्णु की पूजा हर हाल में करता था। उसकी अन्नय और निश्छल भक्ति को देख भगवान प्रसन्न हुए और ब्राह्मण से कुछ मांगने को कहा। भगवान से ब्राह्मण ने कहा कि वह माता लक्ष्मी का निवास अपने घर चाहता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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भगवान विष्णु ने सुझाया उपाय
भगवान ने कहा कि उसे स्वयं माता लक्ष्मी को अपने घर ले जाना होगा और इसके लिए एक उपाय बताया। उन्होंने कि मंदिर के सामने एक स्त्री रोज आ कर उपले बनाती है, तुम उसे अपने घर आदर सत्कार के साथ ले जाओ। लक्ष्मी तुम्हारे घर आ जाएंगी। यह सुन कर ब्राह्मण ने अगली सुबह ऐसा ही किया।

स्त्री को प्रणाम कर अपने घर आमंत्रित किया। यह देख माता लक्ष्मी समझ गईं कि ये सब कुछ भगवान विष्णु के आदेश पर हो रहा और वह ब्राह्मण से बोलीं कि वह महालक्ष्मी व्रत करें और ये व्रत 16 दिन तक करना होगा। सोलवें दिन रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद वह उसके घर आएंगी। ब्राह्मण ने वैसा ही किया और माता लक्ष्मी उसके घर वास करने लगीं।

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