Margshirsha Maah 2019: मार्गशीर्ष प्रारंभ, सबसे पावन मास में जरूर करें ये काम

व्रत-त्‍यौहार
Updated Nov 13, 2019 | 08:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Margshirsha Maah (अगहन का महीना) 2019: मार्गशीर्ष मास का प्रारंभ आज से हो चुका है। इस महीने में शंख की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्‍ति होती है। इस माह इन नियमों का जरूर पालन करें।

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margshirsha maah  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • शास्त्रों में इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप कहा गया है
  • इस महीने में शंख की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्‍ति होती है
  • मान्यता अनुसार इस माह में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था

हिंदू पंचांग के अनुसार, आज यानि 13 नवंबर, बुधवार से मार्गशीर्ष (अगहन) मास शुरू हो रहा है। शास्त्रों में इस महीने को भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप कहा गया है। इस महीने में शंख की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्‍ति होती है। जिस प्रकार सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, वैसे ही शंख का भी पूजा करें। इस मास में साधारण शंख की पूजा भी पंचजन्य शंख की पूजा के समान फल देती है।

मान्यता अनुसार इस माह में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसके अलावा इसी माह में ऋषि कश्यप ने कश्मीर का निर्माण किया था। इस माह लोग नदियों में स्नान करते हैं। साथ ही अन्न का दान करना भी पुण्य कर्म माना गया है। मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली अमावस पर स्नान, दान और तर्पण का विशेष महत्व है। अब आइये जानते हैं मार्गशीर्ष माह में किन-किन कामों को करने से पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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मार्गशीर्ष प्रारंभ, सबसे पावन मास में जरूर करें ये काम 

  • इस माह नदी में स्‍नान करने से श्री कृष्‍ण की असीम कृपा प्राप्‍त होती है। 
  • अगहन मास में गयत्री मंत्र का भी जाप कृष्‍ण की कृपा दिलाता है। 
  • इस माह में भागवत गीता, विष्णुसहस्त्र नाम का श्रवण अवश्य करें। 
  • भगवान श्रीसत्यनारायण की पूजा और कथा करें। 
  • इस मास में भागवत गीता, विष्णुसहस्त्र नाम का श्रवण करना चाहिए।
  • इस माह अपने घर में शंख से जल का छिड़काव करें। ऐसा करने से घर से नकारात्मकता दूर होती है।
  • इस पूरे माह जीरे का सेवन न करें तो अच्‍छा होगा। 

इन सभी चीजों के अलावा अगहन मास में नदी के स्‍नान के लिये तुलसी की जड़ की मिट्टी और तुलसी के पत्‍तों से स्‍नान करना चाहिये। स्‍नान के समय ऊं नमो नारायण का जाप करते रहना चाहिये। 

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