वैशाख मास की शुक्ल पक्ष को मोहिनी एकादशी मनाई जाती है। माना जाता है कि इस व्रत को श्रीराम ने भी महर्षि वशिष्ठ की सलाह पर रखा था। इस दिन जो व्रत रखते हैं, वे मनुष्य मोहजाल से छुटकारा पा जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को दानवों से बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। मोहिनी एकादशी व्रत की महिमा में कहा गया है कि विधिपूवर्क इस व्रत को रखने से व्यक्ति का आकर्षण और बुद्धि बढ़ती है। साथ ही व्यक्ति के मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है।
Mohini Ekadahi 2020 Date and Muhurat
इस साल मोहिनी एकादशी 3 मई यानी महीने के पहले इतवार को है।
एकादशी तिथि प्रारंभ : 3 मई सुबह 09 बजकर 9 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त : 04 मई, सोमवार सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर
पारण : 4 मई, सोमवार, 1 बजकर 13 मिनट से 3 बजकर 50 मिनट तक
मोहिनी एकादशी का व्रत रखने के नियम
मोहिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा युधिष्ठिर ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा कि वैसाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है और इसकी कथा कैसी है ? तब श्रीकृष्ण ने उस कथा के बारे में बताया जो गुरु वशिष्ठ ने भगवान श्रीराम को सुनायी थी। इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में भद्रावती नाम का एक नगर था जो सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ था। इस नगर में धनपाल नाम का एक वैश्य रहता था जो हमेशा पुण्यकार्यों में लगा रहता था। उस वैश्य के पांच बेटे थे। उनमें चार बेटे अच्छे थे और पिता की आज्ञा मानते थे। लेकिन सबसे छोटा बेटा दुष्ट बुद्धि का था।
उसकी हरकतों पर नाराज होकर पिता ने उसे घर से निकाल कर दिया। इस तरह वह सड़क पर रहकर भीख मांगने लगा। उसकी दशा बहुत खराब हो गयी। परेशान होकर वह कौटिल्य नाम के ब्राह्मण के पास गया और अपनी व्यथा सुनायी। उसकी व्यथा सुनकर उन्होंने मोहिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। एकादशी का व्रत करने से उस दुष्ट बुद्धि के सभी पाप धुल गए और वह परलोक को चला गया।
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