Navratri 2019: नवरात्रि में ग्रह शांति पूजा की ये है आसान विधि, देवी उपासना करने से दोषों का हो जाता है शमन

व्रत-त्‍यौहार
Updated Sep 22, 2019 | 12:00 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह खराब स्थिति में है तो नवरात्रि पर मां की पूजा करने से उन ग्रहों को शांत किया जा सकता है। नवरात्र में हर दिन किसी ग्रह दोष को दूर करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

Grah Shanti Puja
Grah Shanti Puja  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • मां भगवती शक्ति तथा सृष्टि की मूल हैं
  • कुंडली में किसी ग्रह की स्थिति का जातक के जीवन पर बहुत प्रभाव होता है
  • नवरात्र में हर दिन किसी ग्रह दोष को दूर करने के लिए उपयुक्त माना जाता है

Grah Shanti Puja: ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार नवरात्रि में माता दुर्गा के पूजा से सुख समृद्धि के साथ साथ 9 ग्रहों की शांति के लिए या उनकी प्रतिकूलता को अनुकूलता में बदलने के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं। माता अपने बच्चों को सामान्य पूजा पर भी आशीर्वाद देती है लेकिन हमारा यह कर्तव्य है कि हम इन नवरात्र के दिनों में उनकी पूजा, आराधना तथा अपने तप जप से उनको प्रसन्न करें।

यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह खराब स्थिति में है तो नवरात्रि पर मां की पूजा करने से उन ग्रहों को शांत किया जा सकता है। आइए जानते हैं नवरात्रि में ग्रह शांति की पूजा कैसे करें... 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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नवरात्रि में नवग्रह शांति तथा सुख समृद्धि के लिए कैसे करें पूजा

  1. माता की मूर्ति के समक्ष नवों ग्रहों के बीज मंत्र का जप करें।
  2. आपकी जन्म कुंडली में जिस ग्रह की महादशा हो व जिसकी अंतर्दशा हो उस ग्रह की निश्चित संख्या में 4 का गुणा कर जप करें या कराएं।
  3. पूरे नवरात्र में दुर्गासप्तशती का प्रतिदिन पाठ करें।
  4. यदि कुंडली में मारकेश हो तो दुर्गासप्तशती के साथ साथ महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान कराएं।
  5. शनि की साढ़े साती या ढैया से प्रभावित लोग माता के शरणागत रहें।प्रतिदिन दुर्गासप्तशती का पाठ करें तथा माता की मूर्ति के सामने अपनी व्यथा कहकर शनि से संबंधित द्रव्यों का दान करें।
  6. माता दुर्गा के मंदिर में माता का श्रृंगार करवाने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
  7. माता के मंदिर में हरिनाम संकीर्तन करवाएं या अखण्ड श्री रामचरितमानस का पाठ करवाएं।
  8. भगवती जागरण कराने की भी प्रथा अब आ गयी है। श्रद्धापूर्वक पूरी रात्रि भगवती जागरण करवाकर सुबह सभी को प्रसाद वितरण करें। ऐसा करने से भी माता आपके मन की मुरादें पूरी करती है।

ये दुर्गा सप्तशती में सप्तश्लोकी दुर्गा में सन्निहित महामंत्र है। 
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणी नमोस्तुते

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