नवरात्रि में मां दुर्गा की नौ दिन तक पूरे विधि-विधान से घरों और पंडालों में पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के 9 अवतारों यानी स्वरूप के लिए नौ दिन में एक दिन समर्पित होता है। हर एक दिन अलग-अलग देवी की पूजा अर्चना उनके अनुसार की जाती है। नवदुर्गा के विभिन्न रूपों को प्रसन्न करने के लिए खास भोग, फूल-पत्रिका और रंग का विशेष महत्व होता है।
शारदीय नवरात्र में विशेष तरीके से पंडालों को सजा कर इसमें देवी मां को विराजमान किया जाता है और लोग धूमधाम से इन पंडालों में घूमने जाते हैं और माता की आरती और विशेष पूजा के भागी बनते हैं। सप्तमी, अष्टमी और नवमी विशेष दिन होते हैं नवरात्रि के। इस दिन पंडालों में भी विशेष कार्यक्रम होते हैं और कन्याएं जिमायी जाती हैं, मान्यता है कि कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि व्रत पूर्ण माना जाता है। तो आइए जानें कि अष्टमी और नवमी की सही तिथि और कन्या पूजन की विधि...
महाअष्टमी और महानवमी का व्रत कौन करता है
अष्टमी तिथि को महाअष्टमी भी कहा जाता है और नवमी को महानवमी। अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन कन्या पूजन का विधान है, लेकिन अष्टमी को कन्या पूजन वही करते हैं तो नवरात्रि में केवल चढ़ती और उतरती व्रत करते हैं। जबकि नवमी को कन्या पूजन वो लोग करते हैं जो नवरात्रि के पूरे नौ दिन तक व्रत करते हैं। इस दिन नवमी का हवन और कन्या पूजन के बाद नवमी पारण का विधान होता है। इस बार नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू हुई है और 8 अक्टूबर को विजयादशमी को दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन होगा। हालांकि कई जगह विसर्जन मंगलवार के मान के कारण 7 अक्टूबर को भी कर दिया जाएगा।
06 अक्टूबर: श्री दुर्गाष्टमी व्रत। महाष्टमी
6 अक्टूबर दिन रविवार को महाअष्टमी पूजा होगी। इसदिन देवी महागौरी की पूजा होगी। मां को इस दिन नारिलय का भोग जरूर लगाया जाना चाहिए। इसके बाद कन्या पूजन करना चाहिए। नारियल का प्रसाद सबसे पहले कन्या फिर अन्य लोगों में वितरित कर खुद भी ग्रहण करना चाहिए।
07 अक्टूबर: दुर्गा नवमी व्रत
7 अक्टूबर दिन सोमवार को महानवमी की पूजा होगी। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। साथ ही इसदिन कन्या पूजन के साथ नवमी हवन और नवरात्रि पारणा किया जाएगा। इस दिन माता की पूजा में तिल और अनार का भोग जरूर लगाएं। महानवमी के दिन हवन करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसे चंडी होम भी कहते हैं।
नवमी हवन का शुभ मुहूर्त:
7 अक्टूबर को प्रातः06:22 से 12:37 तक
8 अक्टूबर दिन मंगलवार को दशमी यानी विजयादशमी होगी और इसी दिन मां दुर्गा का विजर्सन भी किया जाएगा। जिन लोगों के यहां कन्याओं की विदाई मंगलवार नहीं होती वह सोमवार या बुधवार को माता का विर्सजन करेंगे।
ऐसे करें कन्या पूजन
महाअष्टमी या महानवमी किसी भी दिन भी अगर आप कन्याओं की पूजा कर रहे है तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। सर्वप्रथम कन्या पूजन में छह माह से दस वर्ष तक की कन्याओं को ही शामिल करें। एक लांगूर जरूर जिमाएं। अब सबसे पहले नौ कन्याओं को आदर सहित घर में लें आएं और उनके पैर धुल कर उन्हें आसन दें। फिर इन कन्याओं को आलता और टिका लगा इनके चरण छू कर प्रणाम करें। फिर हाथ में मौली बांध कर इन्हें प्रेम सहित भोजन कराएं। भोजन में काले चने, हलवा पूरी और सब्जी जरूर खिलाएं। भोजन के बाद उनके हाथों में दक्षिणा दें या उपहार दे कर उन्हें विदा करें।
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