Pongal: पोंगल से होती है तमिल नववर्ष की शुरुआत, जानें क्‍यों और कैसे मनाया जाता है यह पर्व 

Pongal का पर्व तमिलनाडु का सबसे महत्वपूर्ण त्‍यौहार माना जाता है। यहां जानें इस त्‍यौहार का जश्न कितने दिनों तक और किस तरह से मनाया जाता है। 

Pongal 2020
Pongal 2020   |  तस्वीर साभार: PTI

भारत त्योहारों का देश है। यहां हर राज्यों से सभी त्योहार बहुत धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं। प्रत्येक वर्ष जब सूर्य उत्तरायण होता है तो उत्तर भारत में मकर संक्रांति और लोहड़ी मनायी जाती है। यह सर्दियों के मौसम में पड़ने वाला प्रमुख त्योहार है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं और गरीबों एवं दीन दुखियों को दान देते हैं।

मकर संक्रांति को देश के अलग-अलग हिस्सों में मनायी जाती है और इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत के राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है। हर साल 14 से 16 जनवरी के बीच पोंगल का त्योहार मनाया जाता है। कहा जाता है कि जब नई फसल तैयार हो जाती है तो किसान अपनी खुशी को जाहिर करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं। आइये जानते हैं पोंगल का महत्व और इतिहास के बारे में।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
A post shared by Neha Malwade - Travel for Food (@malwadeneha) on

पोंगल का अर्थ
तमिल में पोंगल का अर्थ होता है-उफान या विप्लव। इस दिन चावल, दूध, शक्कर और घी से भोग तैयार किया जाता है और सूर्य देव को चढ़ाया जाता है। इस भोग को पगल कहते हैं। पगल को प्रसाद के रुप में भी बांटा जाता है।

पोंगल से होती है तमिल नववर्ष की शुरुआत 
केरल, तमिलनाडु सहित पूरे दक्षिण भारत में पोंगल से ही नए साल की शुरूआत है। यहां के लोग अपने घरों को आम के पत्तों और फूलों से सजाकर नए वर्ष का स्वागत करते हैं और पोंगल धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर रंगोली भी बनायी जाती है और पोंगल एवं मिठाई बांटी जाती है। उत्तर भारत की तरह ही यहां के लोग पोंगल के दिन एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। भारत के अलावा यह त्योहार श्रीलंका, मॉरीशस, अमेरिका, कनाड़ा और सिंगापुर में भी मनाया जाता है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
A post shared by Shathish Kumar (@awesomeshathish) on

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
A post shared by Deepak Viswam (@deepak_viswam) on

पोंगल के पहले दिन होती है इंद्र की पूजा
दक्षिण भारत में पोंगल का पर्व तीन दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन भगवान इंद्र की पूजा होती है और अच्छी फसल के लिए उनका आभार प्रकट किया जाता है और अच्छी वर्षा के लिए प्रार्थना की जाती है। पोंगल के पहले दिन शाम के समय घर के पुराने कपड़ों को इकट्ठा करके जलाया जाता है।

सूर्य को समर्पित है पोंगल का दूसरा दिन
पोंगल के दूसरा दिन सूर्य पोंगल या थाई पोंगल के नाम से जाना जाता है। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है।
इस दिन नए चावल से एक अलग तरह की खीर बनायी जाती है और भगवान सूर्य को भोग लगाया जाता है। अच्छी फसल होने पर आभार प्रकट करने के लिए भगवान सूर्य की विशेष पूजा की जाती है।

पोंगल के तीसरे दिन पशुओं की होती है पूजा
पोंगल के तीसरे दिन किसान अपने पशुओं की पूजा करते हैं जिसे मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मट्टू पोंगल भगवान शिव का बैल था जिसे भगवान ने किसानों के लिए पृथ्वी पर भेजा था। इस दिन किसान अपने पशुओं को स्नान कराकर उनकें सिंगों में तेल लगाकर पूजा करते हैं।

इस प्रकार पोंगल भाईचारे का भी प्रतीक है और सभी किसान मिलकर अच्छी फसल के लिए पोंगल का त्योहार मनकार अपनी खुशियां जाहिर करते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

अगली खबर