Pradosh vrat 2019: दाम्पत्य-सुख और अच्‍छी सेहत के लिये आज रखें प्रदोष व्रत, जानें शिव पूजन विधि

व्रत-त्‍यौहार
Updated Nov 24, 2019 | 07:30 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Pradosh vrat puja vidhi: प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी को पड़ता है। रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना अलग ही महत्‍व है। यहां जानें इसकी पूजा विधि... 

Pradosh vrat 2019
Pradosh vrat 2019 
मुख्य बातें
  • रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना अलग ही महत्‍व है।\
  • प्रदोष व्रत पर उपवास करें, लोहा, तिल, काली उड़द और कोयला आदि चीजों का दान करें
  • पूजा में 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करें और जल चढ़ाएं

वे लोग जो प्रदोष व्रत नियम अनुसार रखते हैं उनके सारे पाप धुल जाते हैं और उन्‍हें मरने के बाद मोक्ष की प्राप्‍ती होती है। यह व्रत काफी चमत्‍कारी होता है जिसे रखने से आपको दो गायों का दान देने के समान पुण्‍य मिलेगा। सप्‍ताहभर में अलग अलग प्रदोष व्रत आते हैं जिनका महत्‍व भी उसी दिन के हिसाब से होता है। 

रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना अलग ही महत्‍व है। इस दिन व्रत रखने से जातक की आयु न सिर्फ लंबी होती है बल्‍कि उसे स्‍वास्‍थ्‍य का सुख भी प्रदान होता है। शिव-शक्ति पूजा करने से दाम्पत्य सुख भी बढ़ता है। सुख-शांति और तरक्‍की के लिये अगर आप आज प्रदोष व्रत रख रहे हैं तो यहां जानें व्रत की पूरी विधि। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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प्रदोष व्रत का महत्व: 
यदि व्‍यक्‍ति को सभी प्रकार की पूजा पाठ और व्रत करने के बाद भी सुख शांति और खुशी नहीं मिल पा रही है तो उस व्‍यक्‍ति को हर माह पड़ने वाले प्रदोष व्रत पर जप, दान, व्रत आदि करने से पूरा फल मिलता है। यदि व्‍यक्‍ति चंद्रमा के कारण परेशान है तो उसे वर्ष भर के सारे प्रदोष व्रत करने चाहिये। प्रदोष व्रत पर उपवास करें, लोहा, तिल, काली उड़द, शकरकंद, मूली, कंबल, जूता और कोयला आदि चीजों का दान करें, जिससे शनि परेशान न कर सके। शनि खराब चलने से व्‍यक्‍ति को रोग, दरिद्रता और परेशानी आदि घेर लेती है। यदि प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रतके रूप में आया है तो इस दिन शिवजी, हनुमान और भैरव की पूजा करनी चाहिये। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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प्रदोष व्रत की विधि

  • व्रत रखने वाले व्‍यक्‍ति को व्रत के दिन सूरज उदय होने से पहले उठना चाहिये। 
  • फिर नित्य कार्य कर के मन में भगवान शिव का नाम जपते रहना चाहिये। 
  • व्रत में किसी भी प्रकार का आहार ना खाएं। 
  • सुबह नहाने के बाद साफ और सफेद रंग के कपड़े पहनें। 
  • अपने घर के मंदिर को साफ पानी या गंगा जल से शुद्ध करें और फिर उसमें गाय के गोबर से लीप कर मंडप तैयार करें। 
  • इस मंडप के नीचे 5 अलग अलग रंगों का प्रयोग कर के रंगोली बनाएं। 
  • फिर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और शिव जी की पूजा करें। 
  • पूजा में 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करें और जल चढ़ाएं। 

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