हिंदू धर्म के मुताबिक हर महीने 2 एकादशी आती है। इस हिसाब से एक साल में 24 एकादशी होती हैं। 18 अप्रैल यानी शनिवार को वैशाख माह की एकादशी है। वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की तिथि को आने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते है। हिंदू धर्म में इसका अपना अलग महत्व है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु को एकादशी बेहद प्रिय होती है। इस एकादशी पर व्रत करने से सौभाग्य प्राप्त होता है। पद्म पुराण में भगवान श्रीकृष्ण ने भी युधिष्ठिर को वरुथिनी एकादशी व्रत की महत्ता का वर्णन किया है। इस दिन आपको कुछ खास बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। वहीं वरुथिनी एकादशी को ये काम नहीं करने चाहिए, वरना आपको पुण्य प्राप्त नहीं होगा।
दोनों वक्त न खाएं खाना
वरुथिनी एकादशी पर व्रत करने से बेहद पुण्य मिलता है। ऐसे में आप भी सिर्फ एक ही वक्त खाना खाएं और व्रत का पालन करें। दोनों वक्त भोजन न खाएं।
पीतल के बर्तन में न खाएं
इस एकादशी में व्रत तोड़ते हुए आपको इस बात का खास ख्याल रखना है कि इस दौरान आप पीतल के बर्तन में खाना न खाएं। अगर आप पीतल के बर्तन में भोजन करते हैं तो इससे फल प्राप्त नहीं होगा। इसकी जगह आप स्टील के बर्तन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
शारीरिक संबंध न बनाएं
वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्ण की पूजा की जाती है और धार्मिक कर्म में मन लगाना चाहिए। इस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।
शराब न पीएं
वरुथिनी एकादशी एक धार्मिक दिन है। इस दिन आप तामसिक चीजों से जितना दूर रहे, उतना अच्छा है। शराब का सेवन को बिल्कुल न करें। वैसे भी ये सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है।
ये दिन भगवान विष्णु को होता है, इसलिए वरुथिनी एकादशी पर उन्हें जरूर भोग लगाएं। ऐसा माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी पर व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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