'सबसे बूढ़ा हूं, ईंशाअल्लाह अगली बार गोल्ड जीतूंगा'..58 की उम्र में इस एथलीट ने ओलंपिक में जीता पदक

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Updated Jul 26, 2021 | 23:06 IST

Abdullah Al-Rashidi wins medal in Tokyo Olympics 2020: टोक्यो ओलंपिक में अब्दुल्लाह अल रशीदी ने सबसे ज्यादा उम्र में निशानेबाजी पदक जीता और फिर अगले ओलंपिक की हुंकार भी भरी।

Abdullah AlRashidi
Abdullah AlRashidi  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • टोक्यो ओलंपिक 2020 में अब्दुल्लाह अलरशीदी ने जीता कांस्य पदक
  • अब्दुल्लाह अलरशीदी ने 58 की उम्र में ओलंपिक शूटिंग पदक जीता
  • ओलंपिक 2020 में सबसे ज्यादा उम्र के निशानेबाज का कमाल

उम्र के जिस पड़ाव पर लोग अक्सर ‘रिटायर्ड ’ जिदंगी की योजनायें बनाने में मसरूफ होते हैं, कुवैत के अब्दुल्ला अलरशीदी (Abdullah Al-Rashidi) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) निशानेबाजी में कांस्य पदक जीतकर दुनिया को दिखा दिया कि उनके लिये उम्र महज एक आंकड़ा है। सात बार के ओलंपियन ने सोमवार को पुरूषों की स्कीट स्पर्धा में कांस्य पदक जीता । यही नहीं पदक जीतने के बाद उन्होंने 2024 में पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पर निशाना लगाने का भी वादा किया जब वह 60 पार हो चुके होंगे।

उन्होंने असाका निशानेबाजी रेंज पर ओलंपिक सूचना सेवा से कहा, ‘‘मैं 58 बरस का हूं। सबसे बूढ़ा निशानेबाज हूं और यह कांस्य मेरे लिये सोने से कम नहीं। मैं इस पदक से बहुत खुश हूं लेकिन उम्मीद है कि अगले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतूंगा । पेरिस में।’’

Abdullah alrashidi

उन्होंने कहा, ‘‘मैं बदकिस्मत हूं कि स्वर्ण नहीं जीत सका लेकिन कांस्य से भी खुश हूं। ईंशाअल्लाह अगले ओलंपिक में, पेरिस में 2024 में स्वर्ण पदक जीतूंगा। मैं उस समय 61 साल का हो जाऊंगा और स्कीट के साथ ट्रैप में भी उतरूंगा।’’

Abdullah alrashidi in tokyo

अलरशीदी ने पहली बार 1996 अटलांटा ओलंपिक में भाग लिया था । उन्होंने रियो ओलंपिक 2016 में भी कांस्य पदक जीता था लेकिन उस समय स्वतंत्र खिलाड़ी के तौर पर उतरे थे । कुवैत पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने प्रतिबंध लगा रखा था । उस समय अल रशीदी आर्सन्ल फुटबॉल क्लब की जर्सी पहनकर आये थे।

Abdullah alrashidi in tokyo olympics 2020

यहां कुवैत के लिये खेलते हुए पदक जीतने के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘रियो में पदक से मैं खुश था लेकिन कुवैत का ध्वज नहीं होने से दुखी था । आप समारोह देखो, मेरा सर झुका हुआ था । मुझे ओलंपिक ध्वज नहीं देखना था। यहां मैं खुश हूं क्योंकि मेरे मुल्क का झंडा यहां है।’’

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