CWG 2022: एक वक्त वो भी था जब भारत को नहीं मिला था एक भी मेडल, देखिए 92 साल की रिकॉर्ड बुक

स्पोर्ट्स
संदीप कुमार
Updated Aug 02, 2022 | 14:01 IST

साल 2022 में भारतीय दल बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार प्रदर्शन कर रहा है। वेट लिफ्टिंग से लेकर लॉन बॉल के खेल में प्लेयर्स को जबरदस्त जीत मिली है। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब भारत के खाते में एक भी मेडल नहीं आया था।

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साल 2022 में भारतीय दल बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार प्रदर्शन कर रहा है।   |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • कॉमनवेल्थ गेम्स को पहले ब्रिटिश अंपायर गेम्स के नाम से जाना जाता था
  • भारत ने सबसे पहले साल 1934 के ब्रिटिश अंपायर गेम्स में कांस्य पदक जीता था
  • इंडिया ने साल 2010 के दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में सबसे अच्छा खेल दिखाया था।

साल 1934 में भारत को कुश्ती में राशिद अनवर ने पहला मेडल दिलवाया था। अब तक के सभी कॉमनवेल्थ खेलों को मिलाकर भारत 500 से ज्यादा पदक जीत चुका है। कुल मिलाकर मेडल जीतने के मामले में इंडिया चौथे पायदान पर है। ऑस्ट्रेलिया पहला, इंग्लैंड दूसरा और कनाडा तीसरा सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाला देश है। आईए नजर डालते हैं भारत के कॉमनवेल्थ इतिहास पर-

साल 1930- हैमिल्टन, कनाडा
भारत ने टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया ।

साल 1934- लंदन, इंग्लैंड
इस टूर्नामेंट में भारत को एक मेडल मिला था। मुक्केबाजी  में राशिद अनवर ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। अंकतालिका में इंडिया ने 12वें पायदान पर फिनिश  किया था।

साल 1938- सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
ब्रिटिश अंपायर गेम्स में भारत को एक भी मेडल नहीं मिला।

साल 1950- ऑकलैंड, न्यूजीलैंड
भारत ने टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया।

साल 1954- वैंकूवर, कनाडा
इंडिया पहली बार आजाद देश के रूप में टूर्नामेंट में शामिल हुआ था। हालांकि एक भी खेल में प्लेयर्स को सफलता नहीं मिली। भारतीय दल खाली हाथ वापस लौट आया।

साल 1958- कार्डिफ, वेल्स
भारत ने इतिहास रचते हुए पहली बार गोल्ड मेडल जीता। दौड़ में मिल्खा सिंह को स्वर्ण पदक मिला, मुक्केबाजी में पहलवान लीला राम ने गोल्ड हासिल किया। वहीं, मुक्केबाज लक्ष्मीकांत पांडे ने भी सिल्वर मेडल जीता। 3 मेडल के साथ इंडिया ने आठवें पोजिशन पर टूर्नामेंट फिनिश किया।

साल 1962- पर्थ, ऑस्ट्रेलिया
भारतीय दल ने प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया।

साल 1966- किंगस्टन, जमैका
भारत ने पांचवी बार कॉमनवेल्थ गेम में हिस्सा लिया था। इस बार देश के हिस्से 10 पदक आए। 3 गोल्ड, 4 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल के साथ इंडिया आठवें स्थान पर रहा।

साल 1970- एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड
टूर्नामेंट में पहली बार भारत ने छठा पायदान हासिल किया। इंडिया ने कुल 12 मेडल जीते, जिसमें से 9 पदक मुक्केबाजी से आए। इसमें 5 गोल्ड मेडल भी शामिल थे।

साल 1974- क्राइस्टचर्च, न्यूजीलैंड
पिछली बार की तुलना में भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा। लेकिन 15 मेडल हासिल करने के बाद भी इंडिया छठे पोजिशन पर रहा। देश ने 3 ब्रॉन्ज, 4 गोल्ड और 8 सिल्वर मेडल जीते थे।

साल 1978- कनाडा
लगातार तीसरी बार इंडिया ने छठे पायदान पर टूर्नामेंट फिनिश किया। इस बार भी भारत के हिस्से 15 पदक आए। भारतीय दल ने  5 गोल्ड , 4 सिल्वर और 6 कांस्य मेडल हासिल किए।

साल 1982- ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया
ये टूर्नामेंट भी पहलवानों के नाम रहा। भारत ने कुल 16 मेडल जीते, जिसमें से मुक्केबाजी में 9 मेडल आए। इसी साल शूटिंग में इंडिया ने पहली बार सिल्वर मेडल जीता था।

साल 1986- एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड
भारत ने टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया।

साल 1990- ऑकलैंड, न्यूजीलैंड
पहली बार देश ने टॉप-5 में अपनी जगह बनाई। इंडिया ने 13 गोल्ड, 8 सिल्वर और 11 ब्रॉन्ज मेडल जीते। इस बार वेटलिफ्टिर्स का जलवा दिखाई दिया। 13 में से 12 गोल्ड मेडल वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिताओं में ही मिले थे। मुक्केबाजी को टूर्नामेंट के प्रोग्राम में शामिल नहीं किया गया था।

साल 1994- विक्टोरिया, कनाडा
भारत ने साल 1994 में कुल 25 मेडल अपने नाम किए। इसमें 6 गोल्ड मेडल के साथ 12 रजत और 7 कांस्य पदक शामिल थे।

साल 1998- कुआला लंपुर, मलेशिया
ये पहला मौका था जब किसी एशियाई देश ने कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की। वेटलिफ्टिंग, शूटिंग, बैटमिंटन और मुक्केबाजी में खिलाड़ियों ने जोरदार खेल दिखाया। भारत के हिस्से 7 गोल्ड, 10 सिल्वर के साथ कुल 25 पदक आए।

साल 2002- मैनचेस्टर, इंग्लैंड
इस टूर्नामेंट में इंडिया ने कमाल का खेल दिखाया। भारत ने चौथे पायदान पर गेम फिनिश किया। पहली बार देश ने 30 गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके अलावा 22 सिल्वर और 17 ब्रॉन्ज मेडल भी मिले। इस टूर्नामेंट में सबसे खास भारतीय महिला हॉकी टीम की जीत थी। पहली बार इंग्लैंड को फाइनल में हराकर भारतीय महिलाओं ने गोल्ड मेडल जीता था।

 साल 2006- मैलबर्न, ऑस्ट्रेलिया
इस बार भारतीय दल में 270 लोग शामिल थे। हालांकि टीम का प्रदर्शन साल 2002 की तरह नहीं रहा, लेकिन फिर भी देश की झोली में 50 मेडल आए। सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि 22 गोल्ड मेडल में से शूटर्स ने 16 पदक जीते थे।

साल 2010- दिल्ली, इंडिया
ये इंडिया के लिए अब तक का बेस्ट सीजन रहा । पहली बार टूर्नामेंट में देश ने 100 से ज्यादा मेडल अपने नाम किए। 38 गोल्ड, 27 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज मेडल की बदौलत भारत ने कुल 101 मेडल जीते। ऑस्ट्रेलिया के बाद इंडिया ने दूसरे पायदान पर टूर्नामेंट फिनिश किया।

साल 2014- ग्लासगो, स्कॉटलैंड
इस बार भारत की 215 सदस्यीय टीम ने पांचवें पोजिशिन पर प्रतियोगिता खत्म की। सीजन के इतिहास में पहली बार इंडिया ने स्क्वैश में गोल्ड मेडल जीता। यही नहीं, डिस्कस थ्रो में भी 56 साल के बाद देश ने गोल्ड जीता। इंडिया ने कुल 64 मेडल जीते, जिसमें 15 गोल्ड और 30 सिल्वर मेडल शामिल थे।

साल 2018- गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया
देश ने 17वीं बार कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया। 66 पदकों के साथ भारत ने तीसरे पायदान पर टूर्नामेंट समाप्त किया। इसमें शूटर्स ने सबसे ज्यादा 16 मेडल जीते। मुक्केबाजी में 12, वेटलिफ्टिंग में 9 मेडल आए। देश को टेबल टेनिस ने 8, बैटमिंटन ने 6 पदक दिलाए। इसके अलावा नीरज चोपड़ा के गोल्ड की मदद से ट्रैक एंड फील्ड में भी इंडिया ने 3 मेडल जीते।

साल 2022- बर्मिंघम, इंग्लैंड
इंग्लैंड में भारतीय दल जबरदस्त खेल दिखा रहा है। देश के हिस्से कई मेडल आए हैं, और भी कई पदक आने वाले हैं।

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