हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर की हालत नाजुक, मंगलवार को पड़ा था दिल का दौरा 

स्पोर्ट्स
भाषा
Updated May 13, 2020 | 06:57 IST

आजादी के बाद भारत को ओलंपिक में लगातार तीन स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले महान हॉकी खिलाड़ी बलवीर सिंह सीनियर की हालत नाजुक बनी हुई है।

BALVEER SINGH
BALVEER SINGH  
मुख्य बातें
  • 1948 से 1956 तक ओलंपिक में भारत को दिलाए थे तीन स्वर्ण पदक
  • 1975 में विश्व चैंपियन बनने वाली भारतीय टीम के रहे थे मैनेजर
  • 96 साल की उम्र में कर रहे हैं जीवन से संघर्ष, चंडीगढ़ में चल रहा है इलाज, मंगलवार को पड़ा था दिल का दौरा

चंडीगढ़: महान हॉकी खिलाड़ी और तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर को मंगलवार सुबह दिल का दौरा पड़ा जिससे उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। बलबीर सीनियर अभी मोहाली के फोर्टिस अस्पताल के मेडिकल आईसीयू में भर्ती हैं और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।

इस 96 वर्षीय दिग्गज के नाती कबीर सिंह भोमिया ने उनकी हालत पर अपडेट देते हुए बताया, 'नाना जी को आज सुबह नौ बजे दिल का दौरा पड़ा। उन्हें अभी मेडिकल आईसीयू में रखा गया है। कई अंगों के प्रभावित होने के कारण शुक्रवार आठ मई को उन्हें काफी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत में थोड़ा सुधार हुआ था लेकिन अब उनकी हालत नाजुक है।'

उन्होंने बताया, 'डॉक्टर अगले 24 से 48 घंटों तक लगातार उनकी हालत पर नजर रखेंगे और इसके बाद ही उनकी हालत को लेकर आगे कोई बयान जारी किया जाएगा। उन्हें अब भी वेंटिलेटर पर रखा गया है।'

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की। मुख्यमंत्री ने उन्हें टैग करते हुए ट्वीट किया, 'यह जानकर दुख हुआ कि बलबीर जी को आज दिल का दौरा पड़ा और वह वह गंभीर अवस्था में आईसीयू में हैं। आपके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।'

बलबीर सीनियर को शुक्रवार को तबीयत बिगड़ने पर सेक्टर-36 स्थित उनके आवास से निजी अस्पताल ले जाया गया था। वह अपनी बेटी सुशबीर और कबीर के साथ रहते हैं। बलबीर सीनियर को गुरुवार की रात को तेज बुखार था। पहले उनके परिवार ने उन्हें घर में ही 'स्पंज बाथ' दिया लेकिन जब उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बलबीर सीनियर को अस्पताल में 108 दिन बिताने के बाद पिछले साल जनवरी में पीजीआईएमईआर से छुट्टी मिली थी। इस अस्तपाल में उनका निमोनिया के लिये उपचार चल रहा था।

उन्होंने लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) ओलंपिक में भारत के स्वर्ण पदक जीतने में अहम भूमिका निभाई थी। हेलसिंकी ओलंपिक में नीदरलैंड के खिलाफ 6-1 से मिली जीत में उन्होंने पांच गोल किये थे और यह रिकार्ड अभी भी बरकरार है। वह 1975 विश्व कप विजेता भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर भी रहे।

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