नई दिल्ली: भारत की कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप की सिल्वर मेडलिस्ट वेटलिफ्टर सीमा पर डोप टेस्ट में नाकाम रहने के कारण राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (नाडा) ने चार साल का प्रतिबंध लगा दिया है। डोप नमूने इस साल विशाखापट्टनम में 34वीं वुमेन नेशनल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप के दौरान एकत्रित किए गए थे। सीमा ने 2017 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। वह 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भी महिला 75 किग्रा वर्ग में छठे स्थान पर रही थीं।
नाडा के बयान के अनुसार, 'चैम्पियनशिप के दौरान लिये गये नमूने में प्रतिबंधित पदार्थ पाये गए जो प्रदर्शन को सुधारने के लिये किये गये थे। यह पूरी तरह से धोखाधड़ी और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी नियमों का सीधा उल्लघंन था।' बयान के मुताबिक, 'उनके नमूने में हाइड्रोक्सी 4 मिथॉक्सी टेमोक्सीफेन, सलेक्टिव एस्ट्रोजन रिसेप्टर मोड्यूलर मेटेनोलोन, एनाबोलिक स्टेराइड ओस्टारीन, सलेक्टिव एंड्रोजन रिसेप्टर मोड्यूलर मौजूद थे।' वाडा की 2019 प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में ये सभी गैर-निर्दिष्ट पदार्थ हैं।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले नाडा ने मुक्केबाज सुमित सांगवान पर प्रतिबंध लगाया था। पूर्व एशियाई सिल्वर मेडलिस्ट सुमित को नाडा ने डोप टेस्ट में फेल होने की वजह से एक साल के लिए प्रतिबंधित किया था। लंदन ओलंपिक 2012 में भाग ले चुके सांगवान पहले 91 किलोवर्ग में खेलते थे। उन्हें ओलंपिक क्वालीफायर ट्रायल खेलना था लेकिन उन पर प्रतिबंध तुरंत प्रभाव से लागू हो गया।
डोपिंग रोकने के लिए नाडा ने शुरू किया ये प्रोग्राम
खेलों में डोपिंग को रोकने के लिए नाडा ने इस महीने की शुरुआत में एक बड़ा कदम उठाया था। नाडा ने एथलीट बायोलॉजिकल पासपोर्ट (एबीपी) कार्यक्रम की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की थी। एबीपी ऐसे जैविक मापदंडों की निगरानी है जो अप्रत्यक्ष रूप से शरीर पर डोपिंग के प्रभावों को जाहिर कर सकता है। एबीपी कार्यक्रम को डोपिंग रोधी एंजेसियों द्वारा तैयार किया गया है। इसका मकसद खिलाड़ियों द्वारा नए, संशोधित पदार्थ या डिजाइनर दवाएं लेने के मामले को पकड़ना है।