लवलीना बोरगोहेन ने भरी हुंकार, कहा- 8 साल मेहनत की, सिर्फ ब्रॉन्‍ज मेडल पर रूकने का कोई इरादा नहीं

स्पोर्ट्स
भाषा
Updated Jul 30, 2021 | 14:27 IST

Lovlina Borgohain: असम की 23 वर्ष की मुक्केबाज का सामना मौजूदा विश्व चैंपियन तुर्की की बुसानेज सुरमेनेली से होगा। लवलीना ने कहा कि मुझे कांस्य पदक पर नहीं रूकना। मेरा लक्ष्य गोल्‍ड मेडल है।

lovlina borgohain
लोवलीना बोरगोहेन 
मुख्य बातें
  • लवलीना बोरगोहेन को टोक्‍यो ओलंपिक्‍स में गोल्‍ड मेडल जीतने की उम्‍मीद
  • लवलीना बोरगोहेन ने पूर्व विश्‍व चैंपियन नियेन चिन चेन को मात दी
  • लवलीना का सेमाफाइनल में सामना मौजूदा विश्‍व चैंपियन बुसानेज सुरमेनेली से होगा

नई दिल्ली: भारत के लिए दूसरा ओलंपिक पदक पक्का करने वाली मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने शुक्रवार को कहा कि टोक्‍यो खेलों के क्वार्टरफाइनल में वह कोई रणनीति बनाकर नहीं उतरी थी बल्कि रिंग के अंदर की परिस्थितियों के हिसाब से खेली थी क्योंकि चीनी ताइपे की मुक्केबाज से वह पहले चार बार हार चुकी थीं। लवलीना ने पूर्व विश्व चैंपियन नियेन चिन चेन को 4-1 से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश भारत के लिये इन खेलों में दूसरा पदक पक्का कर दिया।

असम की 23 वर्ष की मुक्केबाज का सामना मौजूदा विश्व चैंपियन तुर्की की बुसानेज सुरमेनेली से होगा। लवलीना ने टोक्‍यो से वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'मैं उससे (नियेन चिन चेन) चार बार हार चुकी थी। खुद को साबित करना चाहती थी। मुझे लगा यही मौका है, अब मैं चार बार हारने का बदला लूंगी।'

किस रणनीति के साथ रिंग में उतरी थीं, इस पर उन्होंने कहा, 'कोई रणनीति नहीं थी क्योंकि प्रतिद्वंद्वी मुक्केबाज इससे पकड़ सकती थी। इसलिये मैंने सोचा कि रिंग में ही देखूंगी और वहीं परिस्थितियों के हिसाब से खेलूंगी। मैं खुलकर खेल रही थी।'

8 साल मेहनत की, गोल्‍ड है लक्ष्‍य

यह युवा मुक्केबाज कई परेशानियों से जूझने के बाद यहां अपने पहले ओलंपिक तक पहुंची है, लेकिन अभी उनका इरादा कुछ भी सोचकर ध्यान भटकाने का नहीं है। उन्होंने कहा, 'पहली बात तो मैं अभी कुछ ज्यादा नहीं सोच रही हूं। मुझे कांस्य पदक पर नहीं रूकना। खुद को साबित करके दिखाना था, मैंने यहां तक पहुंचने के लिये आठ साल मेहनत की है। मेरा लक्ष्य गोल्‍ड मेडल है। मेडल तो एक ही होता है। उसके लिये ही तैयारी करनी है। सेमीफाइनल की रणनीति बनानी है।'

यह पूछने पर कि वह इतनी निडर मुक्केबाज कैसे बनी तो लवलीना ने कहा, 'मैं पहले ऐसी नहीं थी। डर डर कर खेलती थी। कुछ टूर्नामेंट में खेलकर धीरे धीरे डर खत्म हुआ। रिंग में उतरने से पहले भी डरती थी। लेकिन फिर खुद पर विश्वास करने लगी, लोग कुछ भी कहें, अब फर्क नहीं पड़ता, जिससे निडर होकर खेलने लगी।' वह खुद में सुधार के लिये 'स्ट्रेंथ कंडिशनिंग' को भी अहम मानती हैं। उन्होंने कहा, 'मेरी सबसे बड़ी समस्या 'स्ट्रेंथ' थी, जिस पर मैंने काफी काम किया। खेल विज्ञान से काफी फायदा हुआ।'

यह पूछने पर कि क्या क्वार्टरफाइनल में खेलने से पहले दबाव था। तो उन्होंने कहा, 'कोई दबाव नहीं लिया, हालांकि दबाव था। मैंने सोचा कि दबाव लेने से अच्छा नहीं खेल पाते। मैं 'फ्री' होकर खेली और यही सोचा कि दबाव मुक्त होकर ही खेलना है। पूरा भारत प्रार्थना कर रहा है, मुझे अपना शत प्रतिशत देना है।' वह पिछले साल कोविड-19 पॉजिटिव हो गयी थीं, जिसके बाद वह टूर्नामेंट में खेलने नहीं जा सकीं। लवलीना ने हालांकि अपनी तैयारियों पर इसका असर नहीं पड़ने दिया।

मोहम्‍मद अली और मैरीकॉम दीदी से मिली प्रेरणा

उन्होंने कहा, 'जब कोविड-19 से उबरकर वापसी की तो टूर्नामेंट भी नहीं मिल रहे थे क्योंकि आयोजित ही नहीं हो पा रहे थे। टूर्नामेंट का अहसास नहीं मिल पा रहा था और 'स्पारिंग' नहीं हो रही थी। मैंने सोचा कि कैसे करूं तो ट्रेनिंग उसी हिसाब से की। हमारे कोचों की वजह से अच्छा कर पायी।' पूर्वोत्तर ने भारत को मुक्केबाजी में दो पदक दिलाये हैं जो दो महिलाओं ने जीते हैं। 

छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरीकॉम (2012 लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता) से प्रेरणा लेने वाली लवलीना ने कहा, 'मैरीकॉम प्रेरणास्रोत हैं। मैरी दीदी का ही नाम सुना था। उनकी परेशानियां भी देखी हैं, उनके बारे में सुना था, उनके साथ ट्रेनिंग करते हैं, उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। खुशी होती है कि हम उनके साथ खेलते हैं।'

मुक्केबाजी स्टार मोहम्मद अली की प्रशंसक लवलीना उनसे काफी प्रेरणा लेती हैं, उन्होंने कहा, वह दूरी बनाकर खेलते हैं , उनकी एक दो बार वीडियो देखी हैं। उनका 'फुटवर्क' और 'लांग पंच' देखती हूं, हालांकि हर मुक्केबाज अलग होता है।'

अगली बाउट के बारे में उन्होंने कहा, 'सेमीफाइनल में अभी समय है। चार अगस्त को मुकाबला है। तुर्की की मुक्केबाज का वीडियो देखा है, लेकिन कोई रणनीति अभी तक नहीं बनायी है।'

लवलीना ने अपने करियर की शुरूआत मार्शल आर्ट 'मोहाई थाई' से की थी, जिसमें उनकी दोनों बहनें कई राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी हैं। तो क्या इससे उन्हें मुक्केबाजी में कुछ फायदा मिला। इस पर लवलीना ने कहा, 'कोई फायदा नहीं मिला। एक ही साल सीखा था। आज उसकी वजह से जीती हूं, यह नहीं बोल सकती। मोहाई थाई में जो कुछ सीखा था, उससे मैं राष्ट्रीय चैम्पियन भी बनी थी।'

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