मंगल पर NASA का Perseverance बनाएगा ऑक्सिजन, जानिए कब से शुरू होगा काम

मंगल पर ऑक्सिजन बनाने के लिए NASA का Perseverance अपने साथ एक रोबॉट लेकर गया है। यह मंगल पर ऑक्सिजन बनाने का काम करेगा, इससे भविष्य में ऐस्ट्रोनॉट्स को सांस लेने में आसानी होगी।

NASA Perseverance Mars
मंगल पर NASA का Perseverance बनाएगा ऑक्सिजन 
मुख्य बातें
  • Perseverance Mars Rover अपने साथ एक हेलिकॉप्टर Ingenuity लेकर गया है।
  • जानिए ऑक्सिजन का उत्पादन कैसे किया जाएगा
  • इस दिन लैंड होने के बाद शुरू होगा काम।

अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA का Perseverance Mars Rover अपने साथ एक हेलिकॉप्टर Ingenuity लेकर गया है। यह अत्याधुनिक तकनीक सहित उच्च तकनीक वाले वीडियो उपकरण और पहला इंटरप्लेनेटरी हेलीकॉप्टर जैसे गुणों से लैस है। यह मंगल पर ऑक्सिजन बनाने का काम करेगा, ताकी भविष्य में ऐस्ट्रोनॉट्स को सांस लेने में किसी तरह की परेशानी न हो। बता दें कि मंगल के वायुमंडल में 0.2% से भी कम ऑक्सिजन है। इसके साथ ही यह इंसानों के लिए जरूरी मानकों की भी जांच करेगा।

जानिए क्या है MOXIE?
MOXIE यानी  Mars Oxygen In-Situ Resource Utilization Experiment, यह एक तरह डिवाइस है। कार की बैटरी साइज का रोबॉट है उस डिवाइस का छोटा मॉडल है जिसे 2030 में वैज्ञानिक मंगल पर भेजना चाहते हैं। इसे खासकर मंगल के पतले वायुमंडल के लिए डिजाइन किया गया है, जहां यह ऑक्सिजन बनाने का काम करेगा। MOXIE पेड़ की तरह कार्बनडायऑक्साइड लेगा। 

जानिए ऑक्सिजन का उत्पादन कैसे किया जाएगा
पेड़ की तरह MOXIE काम करेगा, जहां वो कार्बनडायऑक्साइड लेगा। इसके बाद यह इलेक्ट्रोकेमिकली से मॉलिक्यूल्स को ऑक्सीजन और कार्बन मोनोऑक्साइड में विभाजित करेगा और ऑक्सीजन के मॉलिक्यूल्स मिलकर शुद्ध O2 बनाएंगे। फिर यह सांस लेने वाली ऑक्सीजन और कार्बन मोनोऑक्साइड दोनों को ग्रह के वायुमंडल में वापस छोड़ेगा। हालांकि, भविष्य के स्केल-अप डिवाइस मानव और रॉकेट द्वारा अंतिम उपयोग के लिए टैंकों में उत्पादित ऑक्सीजन को स्टोर कर सकेंगे।

लैंड होने के बाद शुरू होगा काम
वायुमंडल में कार्बन मोनोऑक्साइड होना चिंता का विषय है। MOXIE के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर माइकल हेट के मुताबिक यह गैस मंगल में जाकर ऑक्सिजन से मिल जाएगी और फिर कार्बन डायऑक्साइड में बदल जाएगी।  MOXIE के जरिए यह एक छोटा सा एक्सपेरिमेंट है। अगर सही तरीके से काम करता है तो यह एक घंटे में 10 ग्राम ऑक्सिजन का उत्पादन कर सकेगा। यह अगले साल यानी 2021 में 18 फरवरी को लैंड होने के बाद काम करना शुरू कर देगा।

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