कोरोना काल में मेल और व्हाट्स ऐप से भी भेजे जा सकेंगे सम्मन, कोर्ट ने दिया फैसला

कोरोना महामारी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया में तकनीक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने पर जोर दिया है। अदालत के सम्मन और नोटिस अब मेल के जरिए भी भेजे जा सकते हैं।

Supreme Court allows service of summons via Social Media like E mail, WhatsApp etc.
कोरोना काल में मेल और व्हाट्स ऐप से भी भेजे जा सकेंगे सम्मन 
मुख्य बातें
  • न्यायालय ने नोटिस, सम्मन के लिए ईमेल, फैक्स, इन्स्टेंट मैसेजिंग ऐप के उपयोग की अनुमति दी
  • कोर्ट ने कोरोना महामारी के कारण लिया गया निर्णय
  • कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए कोर्ट ने तकनीक के प्रयोग पर दिया जोर

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मौजूदा कोविड-19 के हालात को देखते हुए न्यायिक कार्यवाही में प्रौद्योगिकी का और अधिक उपयोग करने का फैसला किया और निर्देश दिया कि अब अदालत के सम्मन तथा नोटिस लोगों को ‘ईमेल, फैक्स और वॉट्सऐप जैसे एप्लीकेशन’ के माध्यम से भेजे जा सकते हैं।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले वकीलों और वादियों को लॉकडाउन के दौरान आ रही मुश्किलों का स्वत: संज्ञान लिया था और मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने तथा चैक बाउंस होने के मामलों के लिए कानून के तहत निर्दिष्ट समयसीमा की अवधि 15 मार्च से अगले आदेश तक बढ़ाने का फैसला किया था। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी तथा न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की याचिका पर आदेश जारी किया।

पीठ ने कहा ‘नोटिस और सम्मन जारी करने में देखा गया है कि लॉकडाउन के दौरान डाकघरों में जाना संभव नहीं है। हम निर्देश देते हैं कि इस तरह की सेवाएं ईमेल, फैक्स या इन्स्टेंट मैसेंजर सर्विस के माध्यम से की जा सकती हैं।’ हालांकि पीठ ने आदेश में ‘वॉट्सऐप’ का नाम नहीं लिया। पीठ ने ‘जिरोक्स’ का उदाहरण दिया और कहा कि कंपनी के नाम का इस्तेमाल ‘फोटो स्टेट’ के लिए किया जाता रहा है।

शीर्ष अदालत ने वेणुगोपाल की इन आशंकाओं का निराकरण किया कि वह वॉट्सऐप से सम्मन और नोटिस भेजने में सहज महसूस नहीं करते।

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