हाय रे Bird Flu..ना तो बिरयानी ना चिकेन तंदूरी, ना ऑमलेट, सबसे बन गई दूरी  

देश के कुछ हिस्सों में बर्ड फ्लू फैलने के बाद उत्तर और पश्चिम भारत में चिकन की बिक्री कम हो गई है चिकन कंपनियों की बिक्री घटने से कीमतों में 20 फीसदी तक गिरावट दर्ज की जा रही है।

After outbreak of bird flu in some parts of the country chicken sales are reduced
बर्ड फ्लू की खबरों ने पोल्ट्री फर्म मालिकों और उसके कारोबार से जुड़े लोगों को काफी परेशान कर दिया है 

देश अभी कोरोना की मार से जूझ रहा है और इसे लेकर सकारात्मक खबर आई जब कोविड वैक्सीन सामने आ गई, मगर इस बीच वर्ड फ्लू (Bird Flu) की खबर ने देश को सकते में डाल दिया।देश में केरल, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश समेत सात राज्यों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं। इन राज्यों में पक्षियों के संक्रामक रोग की रोकथाम के लिए हजारों परिंदों को मार दिया गया है। वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कुछ इलाकों में कौए मृत मिले हैं। गाजीपुर मुर्गा मंडी को 10 दिन के लिए बंद कर दिया गया है इस सबकी मार पड़ी है चिकन और एग लवर्स पर जो इसे खाए बिना रह नहीं पाते थे लेकिन अब डर की वजह से इससे दूरी बनाने पर मजबूर हैं। इस स्थिति के चलते इनकी कीमतों में खासी गिरावट दर्ज की जा रही है मगर इसके खरीदार इसे खरीदने से बच रहे हैं कई चलते कई राज्यों में चिकन, अंडे की बिक्री काफी घट गई है।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक की एक खबर के मुताबिक दक्षिण भारत में चिकन की बिक्री में 30 फीसदी की गिरावट आई है जबकि उत्तर और पश्चिम भारत में इसकी बिक्री तकरीबन 50 से 60 फीसदी तक गिरी है वहीं अंडे की कीमत सात फीसदी घटी है और ये करीब साढ़े पांच रुपये प्रति अंडा पहुंच चुकी है मगर इसका असर खुदरा कीमतों पर अभी नहीं पड़ा है। 

बर्ड फ्लू की खबरों ने पोल्ट्री (Poultry) फर्म मालिकों और उसके कारोबार से जुड़े लोगों को काफी परेशान कर दिया है, चिकन (Chicken) हो या अंडा (Egg) बाजार में दोनों की ही डिमांड कम हो गई है।

पुरानी दिल्ली में मुर्गे के मांस की दुकान चलाने वाले सेलर के मुताबिक -दो-तीन दिन पहले तक मुर्गे का मांस 190 से 200 रुपये प्रति किलोग्राम था जो अब 110-120 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया है, उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से सात महीने दुकान बंद थी और अब यह वायरस आ गया है जिससे मांस की बिक्री में कमी आई है।

बताते हैं कि पढ़े-लिखे और संपन्न लोग ‘चिकन’ (Chicken) के सेवन से बच रहे हैं जबकि कम आमदनी वाले ऐसे लोग जो ऊंची कीमत की वजह से मुर्गा नहीं खरीद पाते थे या कम मात्रा में खरीदते थे, वे अब दो-ढाई किलोग्राम तक खरीद रहे हैं।

दूसरी तरफ कम आदमनी वाले कमजोर वर्ग के लिए यह बीमारी किसी ‘सौगात’ से कम नहीं है, बताया जा रहा है कि इसका एक असर ये भी हुआ है कि मुर्गे के दाम कम होने से कम आमदनी वाले और गरीब लोग इसकी खरीदारी ज्यादा कर रहे हैं। 

जिस तरह से बर्ड फ्लू की खबरें और तेज हो गईं हैं तो उसे देखकर लगता है कि अभी चिकन के दाम और गिरेंगे मगर इस स्थिति का फायदा नॉनवेज लवर्स (Non Veg Lovers) को नहीं मिलने वाला क्योंकि वो वर्ड फ्लू के खौफ की वजह से इससे दूर हैं।

गौरतलब है कि साल 2006 से तो कुछ ऐसा ही हुआ था जब पहली बार बर्ड फ्लू (Bird Flu) ने दस्तक दी थी, बर्ड फ्लू घोषित होते ही सरकार सभी मुर्गियों और अंडों को जमीन में दबाने के आदेश जारी कर देती है।

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