वाराणसी: प्रदूषण से भगवान भी नहीं बचे, मूर्तियों को पहनाया गया मास्क

ट्रेंडिंग/वायरल
Updated Nov 07, 2019 | 00:55 IST | IANS

Pollution: वाराणसी के सिगरा स्थित काशी विद्यापीठ विद्यालय के नजदीक स्थित भगवान शिव पर्वती के मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं को यहां के पुजारी और कुछ भक्तों ने मास्क पहना दिया है।

pollution in varanasi
मूतियों को पहनाया गया मास्क 

वाराणसी: माना जा रहा है कि हवा में घुलते प्रदूषक तत्वों से इंसान ही नहीं, भगवान भी परेशानी में हैं, वह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में। इसीलिए भक्तों ने भगवानों की प्रतिमाओं को मास्क पहना दिया है, ताकि उन्हें प्रदूषण के खतरे से बचाया जा सके। दीपावली के बाद दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत के अधिकतर हिस्से में वायु प्रदूषण का कहर जारी है। इसकी चपेट में धर्म नगरी वाराणसी भी आ चुकी है। काशी के लोग प्रदूषित हवा से बचने के लिए इन दिनों मास्क पहने नजर आ रहे हैं।

वाराणसी के सिगरा स्थित काशी विद्यापीठ विद्यालय के नजदीक स्थित भगवान शिव पर्वती के मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं को यहां के पुजारी और कुछ भक्तों ने मास्क पहना दिया है।

पुजारी हरीश मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, वाराणसी आस्था की नगरी है। हम आस्थावान लोग भगवान के इंसानी रूप को महसूस करते हैं। गर्मी में भगवान की प्रतिमाओं को शीतलता प्रदान करने के लिए चंदन लेपन करते हैं। शरद ऋतु में इन्हें कंबल और स्वेटर भी पहनाए जाते हैं। जब हम इन्हें इंसानी रूप में मानते हैं तो उन पर भी प्रदूषण का असर हो रहा होगा। इसीलिए यहां स्थित प्रतिमाओं को हमने मास्क पहना दिया है।

उन्होंने बताया कि बाबा भोलेनाथ, देवी दुर्गा, काली माता और साईं बाबा का पूजन करने के बाद उन्हें मास्क पहना दिया गया है। पुजारी ने बताया कि जब लोगों ने प्रतिमाओं को मास्क पहने हुए देखा तब वे भी प्रदूषण से बचाव के लिए खुद मास्क पहने लगे। कई लोगों ने इन प्रतिमाओं से सीख ली। छोटे बच्चे भी प्रदूषण से बचाव के लिए जागरूक हो रहे हैं।

हरीश मिश्रा ने बताया कि उन्होंने प्रतिमाओं को कई घंटे तक मास्क पहनाए रखा। जब काली जी की प्रतिमा में मास्क लगाया गया तो उनकी जीभ ढक गई थी। शास्त्र के अनुसार, उनकी जिह्वा ढकनी नहीं चाहिए। इसीलिए बाद में उनका मास्क उतार दिया गया। पुजारी ने कहा, अब प्रदूषण कुछ कम होने लगा है। यदि आगे प्रदूषण बढ़ा तो प्रतिमाओं को मास्क लगातार पहनाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि दीपावली में लोगों ने पूरे प्रदेश में इतने ज्यादा पटाखे छोड़े हैं कि उसके दूसरे दिन से यहां पर और गंगा के घाटों पर धुंध सी छाई रहती है। इससे आंखों में जलन और सांस भी फूलने लगती है। लोगों ने पेड़-पौधे भी काट डाले हैं, इसलिए यहां के वातावरण में ऑक्सीजन की कमी महसूस की जा रही है।

मिश्रा ने कहा कि वायु प्रदूषण से जूझ रहे बनारस की आबो-हवा ठीक करने के लिए लोगों को खुद आगे आना पड़ेगा। लोग त्योहार धूम-धाम से मनाएं, पर सेहत का ख्याल जरूर रखें। उन्होंने कहा, धुंध को लेकर हाय-तौबा मचने के बावजूद नगर निगम के कर्मचारी सड़कों पर कूड़ा जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। नगवां, नरिया, सिगरा, जैतपुरा सहित कई स्थानों पर कूड़ा जलता पाया जाता है। यह और जहर बन रहा है। यह हमारे मंदिरों के वातावरण को भी खराब कर रहा है।

पुजारी ने बताया कि यहां पर प्रदूषण लेवल बहुत ज्यादा बढ़ गया है। स्मॉग से निबटने के लिए फायर फाइटिंग टीम को तैनात करना पड़ा। शहर में फायर ब्रिगेड टीमें पेड़-पौधों पर पानी की फुहार के साथ ही उनपर जमी धूल को झाड़ने के लिए प्रयास कर रही हैं। यहां हवा में पीएम 2.5 का इंडेक्स 500 के करीब पहुंच चुका है।

अगली खबर