बिहार: दो साल में एक भी बच्चा नहीं आया पढ़ने, प्रोफेसर ने सरकार को लौटाई 23 लाख रुपये सैलरी!

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आदित्य साहू
Updated Jul 07, 2022 | 18:01 IST

Heart Touching Story: हिंदी विभाग के प्रोफेसर ने अपनी सैलरी के 23 लाख रुपये सरकार को इसलिए लौटा दिए हैं, क्योंकि पिछले दो साल में कोई भी बच्चा पढ़ने नहीं आया है। प्रोफेसर ललन कुमार ने ऐसा कर एक अलग ही मिसाल कायम की है।

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प्रोफेसर ने लौटाई सैलरी  |  तस्वीर साभार: Google Play
मुख्य बातें
  • बिहार से आया अनोखा मामला
  • प्रोफेसर ने सरकार को लौटाई 23 लाख सैलरी
  • सोशल मीडिया पर छाई प्रोफेसर के ईमानदारी की कहानी

Heart Touching Story: बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां नीतीश्वर सिंह कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रोफेसर ने अपनी सैलरी के 23 लाख रुपये सरकार को इसलिए लौटा दिए हैं, क्योंकि पिछले दो साल में कोई भी बच्चा पढ़ने नहीं आया है। प्रोफेसर ललन कुमार ने ऐसा कर एक अलग ही मिसाल कायम की है। प्रोफेसर साहब ने अपनी 2 साल की सैलरी सरकार को यह कहकर लौटा दी कि उन्होंने जब किसी बच्चे को पढ़ाया ही नहीं तो वह सैलरी लेने के हकदार नहीं हैं।

इसके साथ ही प्रोफेसर ललन कुमार ने सरकार से यह मांग की है कि उनकी पोस्टिंग ऐसी जगह हो, जहां क्लास में बच्चे पढ़ने आएं। प्रोफेसल ललन कुमार जेएनयू से पढ़ने के बाद बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (बीपीएससी) द्वारा प्रोफेसर के लिए सिलेक्ट हुए थे। प्रोफेसर साहब का कहना है कि कॉलेज में जब उनकी ज्वाइनिंग हुई, तो उन्होंने देखा कि यहां बच्चे पढ़ने ही नहीं आते हैं। इसके बाद से ही लगातार वह अपना ट्रांसफर कराने की कोशिश में लगे थे। हालांकि अभी तक उनका ट्रांसफर नहीं हो पाया है। 

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सरकार को दी चेतावनी

ललन कुमार कहते हैं कि उनका रैंक अच्छा होने के बाद भी उन्हें नीतीश्वर सिंह कॉलेज दे दिया गया था। इस कॉलेज में बच्चे पढ़ने नहीं आते। इसलिए उन्होंने अपने 2 साल 9 माह के कार्यकाल की सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपये सरकार को लौटाने की पेशकश कर दी। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी ने 6 बार ट्रांसफर ऑर्डर निकाले लेकिन हर बार उनका नाम काट दिया गया। ललन कुमार ने अब सरकार को चेतावनी दी है कि यदि इस कॉलेज से उनका ट्रांसफर नहीं किया गया तो वह अनशन पर बैठ जाएंगे। 

मामला सुर्खियों में आने पर कॉलेज के प्रिंसिपल को सफाई देनी पड़ गई। प्रिंसिपल का कहना है कि यदि ललन कुमार को समस्या थी तो उन्हें आकर बताना चाहिए था। प्रिंसिपल का कहना है कि कोरोना के चलते पिछले दो साल से स्टूडेंट्स कम आ रहे थे। हालांकि, उन्होंने ललन कुमार के इस आरोप को सरासर गलत बताया कि कॉलेज में बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि ललन कुमार ने अपने ट्रांसफर से संबंधित किसी तरह का लेटर उन्हें नहीं दिया है। 

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