Censor Water gun: कोरोना से बचकर मनानी है होली तो आ गई ये "सेंसर पिचकारी"

censor Water gun for Holi:अशोका इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के छात्र विशाल पटेल ने इस पिचकारी का निर्माण किया है। 

censor Water gun Holi fear of Corona Varanasi
प्रतीकात्मक फोटो 
मुख्य बातें
  • पिचकारी को ऊपर छत पर घर के सामने रखा जाएगा
  • इसके सामने आते ही इसके सेंसर एक्टिव हो जाएंगे और लोगों पर कलर फेंकने लगेंगे
  •  यह मानव रहित पिचकारी कोरोना से लड़ने में बहुत सहायक होगी

वाराणसी: दोबारा कोरोना की आहट से जहां सरकार चिंता में है तो दूसरी ओर लोगों को रंगों के त्योहार होली के फीका होने का डर सताने लगा है। होली में उचित दूरी का पालन करना भी कठिन है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के युवाओं ने एक ऐसी पिचकारी का निर्माण किया है जो सोशल डिस्टेंसिंग को बरकरार रखते हुए होली का रंग जमायेगी। ये विशेष सेंसर युक्त पिचकारी बिना एक दूसरे को छुए रंग से भिगोएगी और जैसे ही लोग उचित दूरी का नियम तोड़ेंगे तो अगाह करेगी।

विशाल पटेल ने  बताया कि होली का पर्व कोरोना के चलते फीका न पड़े, इस कारण हमने एक एंटी कोरोना पिचकारी बनाई है, जो सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन तो करेगी ही, साथ ही लोंगों पर रंगों की बौछार भी करेगी।

उन्होंने बताया कि पिचकारी को ऊपर छत पर घर के सामने रखा जाएगा। इसके सामने आते ही इसके सेंसर एक्टिव हो जाएंगे और लोगों पर कलर फेंकने लगेंगे। जब तक पिचकारी के सामने कोई नहीं आएगा, तब तक यह बंद रहेगा। सामने आते ही रंगों की बारिश करने लगेगा।

यह मानव रहित पिचकारी कोरोना से लड़ने में बहुत सहायक होगी

 इसके अलावा इसका प्रयोग सैनिटाइज करने में भी किया जा सकता है। इस पिचकारी को बनाने में 15 दिन लगे हैं। इसमें एक बार में 8 लीटर रंग भरा जा सकता है। इसमें 12 वोल्ट की एक बैट्री, इंफ्रारेड सेंसर, अल्ट्रा सोनिक सेंसर, स्विच, एलइडी लाइट का प्रयोग कर इसे बनाया गया है। इसे बनाने में 750 रूपये का खर्च आया है।

मोबाइल बेस्ड सेंसर लगा होने से इंडस्ट्री में बहुत अच्छी संभावना

व्यवहारिक कला विभाग व समन्वयक डिजाइन इनोवेशन सेंटर, बीएचयू के समन्वयक डॉ. मनीष अरोरा ने बताया कि यह अपन आप में अभिनव प्रयोग है। यह होली की खुशियों के साथ लोगों की सुरक्षा भी करेगा। इसमें मोबाइल बेस्ड सेंसर लगा होने से इंडस्ट्री में बहुत अच्छी संभावना है। संस्थान के रिसर्च डेवलपमेंट सेल के इंचार्ज श्याम चौरसिया कहते हैं कि कोरोना ने लोगों को तकनीक के सहारे जीने का रास्ता दिखाया है। उन्हीं में एक प्रयोग यह भी है। बच्चों ने एक अच्छा प्रयास किया है। इससे सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेंन रहेगी। साथ में रंगों का पर्व भी उल्लास के साथ मनाया जा सकेगा।
 

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