14 साल से भक्त कर रहा दर्शन का इंतजार, अब मिलेगा 45 लाख रुपए, दिलचस्प है मामला?

Ajab Gajab News: एक भक्त पिछले 14 साल विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुमला स्थित तिरुपति देवस्थानम मंदिर में दर्शन करने के लिए इंतजार कर रहा है। लेकिन, अब तक उसे दर्शन करने का मौका नहीं मिला है।

Devotee has been waiting for darshan for 14 years now get 45 lakh rupees
भक्त के साथ तो गजब हो गया 
मुख्य बातें
  • तमिलनाडु से अजीबोगरीब मामला सामने आया
  • यहां एक भक्त दर्शन के लिए 14 साल से इंतजार कर रहा
  • कोर्ट ने कहा या तो दर्शन कराओ या फिर 45 लाख रुपए दो

OMG News: तमिलनाडु से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि, यहां एक भक्त पिछले 14 साल से प्रसिद्ध मंदिर तिरुमला स्थित तिरुपति देवस्थानम में दर्शन करने के लिए इंतजार कर रहा है। लेकिन, अब तक उसे दर्शन का मौका नहीं मिला। आपको जानकर हैरानी होगी कि मामला कोर्ट तक पहुंचा और अब उसे 45 लाख रुपए मुआवजा के तौर पर दिया जाएगा। हो सकता है इस बात पर आपको यकीन ना हो रहा हो, लेकिन यह सच है। तो आइए, जानते हैं क्या है पूरा मामला?

आज तक आपने मंदिर में दर्शन करने के लिए लोगों को घंटों तक इंतजार करते देखा होगा। लेकिन, किसी को किसी को 14 साल तक इंतजार करते हुए देखा या उसके बारे में सुना होगा। यकीनन आपका जवाब ना ही होगा। लेकिन, केआर हरि भास्कर नामक एक ऐसा शख्स है जो पिछले 14 साल से विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुमला स्थित तिरुपति देवस्थानम मंदिर में दर्शन करने के लिए इंतजार कर रहा है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ऐसा कैसे हो सकता है? दरअसल, हरि भास्कर ने साल  2006 में वस्त्रालंकारा सेवा के लिए 12,250 रुपए में बुकिंग कराई थी। मंदिर ने उन्हें साल 2020 में स्लॉट बुकिंग दी। लेकिन, कोरोना काल में मंदिर 80 दिनों तक बंद रहा। मंदिर खुलने पर वस्त्रालंकारा समेत सभी अर्जित सेवा पर रोक लगा दी गई। लिहाजा, मंदिर ने उनकी बुकिंग कैंसिल कर दी और वीआईपी दर्शन या फिर रिफंड का ऑप्शन दिया। लेकिन, भास्कर ने वस्त्रालंकारा सेवा को रीशिड्यूल करने के लिए कहा। मंदिर प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं हुआ और रिफंड लेने के लिए कहा। 

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कोर्ट ने भास्कर के हित में फैसला सुनाया

जब बात नहीं बनी तो भास्कर इस मामले को लेकर कंज्यूमर कोर्ट पहुंच गए। शिकायत के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई की और भास्कर के हक में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि या तो मंदिर ट्रस्ट साल 2006 से 6 प्रतिशत ब्याज दर के हिसाब से भास्कर को पैसे दे। साथ ही समय पर दर्शन ना करने के कारण भास्कर को 45 लाख रुपए दिया जाए। अगर ये संभव नहीं है तो वस्त्रालंकारा सेवा के लिए एक नया डेट निर्धारित करें। हालांकि, कोर्ट के फैसले पर मंदिर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन, यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। 

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