डॉक्टरों की अनूठी मिसाल, मां को खोया, अंतिम संस्कार के तुरंत बाद लौटे काम पर 

कोरोना काल में डॉक्‍टर्स की भूमिका कितनी अहम है ये किसी से छिपा नहीं है, गुजरात के  बड़ोदरा में दो डॉक्टरों ने ऐसी मिसाल पेश की है जिसकी मुक्त कंठ से तारीफ हो रही है।

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प्रतीकात्मक फोटो 

कोरोना संकट से निपटने में सरकार के साथ ही आम जनमानस भी लगा हुआ है, वहीं इस काम डॉक्‍टर्स के रोल की जितनी तारीफ की जाए कम है वो विपरीत परिस्थियों में अपने जी जान से जुटे हैं क्योंकि केस भी भारी तादाद में आ रहे हैं ऐसे में छुट्टी आदि भूलकर ये सिर्फ मरीजों की सेवा में लगे हैं, गुजरात में कोरोना से निपटने में लगे दो डॉक्टर्स ने अपनी अपनी मां को खो दिया लेकिन उनका हौसला नहीं डिगा।

अपनी मां के निधन के कुछ घंटों बाद ही, दो डॉक्‍टर्स फिर से लोगों की जान बचाने में लग गए उनका कहना है कि उनकी मां कहा करती थी कि इससे बड़ी कोई ड्यूटी नहीं और हमारा तो धर्म ही मरीजों की सेवा है।

वडोदरा के सयाजी अस्पताल में पीएसएम में कोविड प्रबंधन में कार्यरत डॉ. राहुल परमार की मां का पिछले दिनों गांधीनगर में निधन हो गया।

गांधीनगर निवासी मां के निधन का समाचार मिलने पर वो गांधीनगर पहुंचे और मां के अंतिम संस्कार का पुत्रवत फर्ज पूराकर वे अगले दिन सवेरे पुन: वडोदरा पहुंचकर ड्यूटी पर जुट गए।

डॉ. राहुल खुद भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं

डॉ. राहुल खुद भी दिसंबर महीने में कोरोना संक्रमित हो गए। कोरोना से जंग जीतकर वे पुन: ड्यूटी कर रहे हैं।वहीं डॉ. शिल्‍पा पटेल वडोदरा के सयाजी अस्पताल में डॉक्टर हैं गुरुवार दोपहर साढ़े तीन बजे कोविड-19 आईसीयू में भर्ती उनकी मां ने करीब हफ्ते भर जंग लड़ने के बाद दम तोड़ दिया मां कांता अम्‍बालाल का अंतिम संस्‍कार होने के बाद, डॉक्‍टर ने एक बार फिर से अपनी पीपीई किट पहनी और काम पर लौट आईं।

इस खबर के बाद अस्पताल प्रबंधन ने इन दोनों डॉक्टरों के समर्पण और सेवा निष्ठा की सराहना करते हुए कहा कि दोनों ने एक अनूठी मिसाल कायम की है वहीं आम लोग भी उनके जज्बे की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।

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