Sparrows:देश में 'गौरैया की संख्या' को लेकर आई खुशखबरी, 'Bird Lovers' का दिल खुश

Number of Sparrows in India:चेन्नई जैसे घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में ये पक्षी दिखाई दिए हैं, जिससे पता चलता है कि ये पक्षी ग्रामीण इलाकों से दूर भी अपने आस्तित्व को कायम रहने में सक्षम हैं।

Sparrows
गौरैया सबसे व्यापक रूप से पाई जाने वाली प्रजातियों में से एक  
मुख्य बातें
  • गौरैया की संख्या देश में स्थिर हो गई है
  • गौरैया सबसे व्यापक रूप से पाई जाने वाली प्रजातियों में से एक
  • पुडुचेरी और तमिलनाडु में इनकी व्यापक मौजूदगी

नई दिल्ली: घरों के बाहर अक्सर पाई जाने वाली गौरैया की संख्या देश में स्थिर हो गई है और तमिलनाडु एवं पुडुचेरी में इनकी व्यापक मौजूदगी ने पक्षी प्रेमियों का दिल खुश कर दिया है। सालेम ऑर्निथोलॉजिकल फाउंडेशन (SOF) की हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्तमान में, गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) की संख्या पूरे भारत में स्थिर है और इनके संरक्षण के लिए कदम उठाने की फिलहाल आवश्यकता नहीं है। गौरैया सबसे व्यापक रूप से पाई जाने वाली प्रजातियों में से एक है।

गौरैया तमिलनाडु और पुडुचेरी में किन स्थानों पर पाई जाती है, इस बारे में लोगों को समझाने वाली यह रिपोर्ट 'ईबर्ड' जैसी नागरिक विज्ञान पहलों की महत्ता को लेकर भी जागरुकता पैदा करती हैं। गौरैया की संख्या जिला स्तर पर समान दिखाई नहीं देती, क्योंकि कुछ जिलों में पक्षियों से संबंधित जानकारी एकत्र वाले अनुसंधानकर्ताओं की कमी है।

एसओएफ के संस्थापक-निदेशक गणेश्वर एस वी ने कहा, 'ईबर्ड डेटाबेस में कई बड़े अंतरों को भरने की आवश्यकता है। यह स्पष्ट है कि अधिक नमूने एकत्र करने की आवश्यकता है। पक्षियों पर नजर रखने वालों और प्रकृति प्रेमियों के ईबर्ड में अधिक योगदान की आवश्यकता है।'

दुनिया में जंगली पक्षियों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए नागरिक विज्ञान और बड़े डेटा विश्लेषण के संयोजन के ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं के तरीके से प्रेरित होकर 'सालेम ऑर्निथोलॉजिकल फाउंडेशन' ने तमिलनाडु और पुडुचेरी के 38 जिलों में से प्रत्येक जिले में गौरैया की मौजूदगी का पता लगाने के लिए विस्तृत मानचित्र बनाने का फैसला किया।

गौरैया की मौजूदगी संबंधी मानचित्र तैयार करने में मदद करने वाले वेंकटेश एस ने  बताया, 'हमने अपने सदस्यों और राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश में पक्षियों पर नजर रखने वाले कई लोगों की मदद से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया और यह पता लगाने के लिए मानचित्र तैयार किया कि ये पक्षी किस स्थान पर कितनी संख्या में मौजूद हैं।'
 

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