नयी दिल्ली: दुनिया भर में अपनी गणितीय क्षमता का लोहा मनवाने वाली ‘मानव कंप्यूटर’ शकुंतला देवी को अपनी उपलब्धि के करीब 40 साल बाद मरणोपरांत गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से आधिकारिक प्रमाणपत्र दिया गया है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड ने बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से शकुंलता देवी के मानव कंप्यूटर (Human Computer) होने का प्रमाणपत्र उनकी बेटी को सौंपा।
मनुष्य द्वारा सबसे तेज गणना करने का रिकॉर्ड 28 सेकेंड का है जो शकुंतला देवी ने 18 जून, 1980 को ब्रिटेन के इम्पिरियल कॉलेज ऑफ लंदन में बनाया था। उन्होंने 13-13 अंकों की दो संख्याओं का महज 28 सेकेंड में सही गुणा किया था। यह प्रमाणपत्र दिवंगत शकुंतला देवी की बेटी अनुपमा बनर्जी ने प्राप्त किया। बनर्जी ने बताया कि उनकी मां ने जब यह वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया तो वह कुछ 10 साल की रही होंगी।
बनर्जी ने साक्षात्कार में बताया, 'मैं जहां भी जाती थी, लोग उस रिकॉर्ड के बारे में बात करते थे। इसलिए मुझे पता था कि दुनिया भर में यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। मुझे ट्रोकाडेरो सेंटर (लंदन के कोवेंट्री स्ट्रीय पर स्थित मनोरंजन परिसर) जाना याद है। उनके यहां एक कमरा है जिसमें मां की तस्वीरें हैं। यह अकल्पनीय था।'बनर्जी की मां के जीवन पर बनी फिल्म ‘शकुंतला देवी’ की आमेजन प्राइम पर स्ट्रीमिंग (31 जुलाई को) शुरू होने से एक दिन पहले यह सम्मान उन्हें मिला है।अनु मेनन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में शकुतला देवी का किरदार विद्या बालन निभा रही हैं।
बालन का कहना है कि उन्हें बहुत खुशी हो रही है और अब बनर्जी के पास यह प्रमाणपत्र पूरे जीवनकाल के लिए रहेगा।अभिनेत्री ने बताया, 'लंदन में शकुंतला देवी के लिए शूटिंग करते समय हम प्राय: अनुपमा बनर्जी से मिलते थे। उनके साथ बातचीत में मुझे पता चला कि दिवंगत शकुंतला देवी के पास गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का कोई आधिकारिक प्रमाणपत्र नहीं है। उस दौरान इसका चलन नहीं था।' उन्होंने कहा, 'विक्रम मल्होत्रा (फिल्म के निर्माता) और मैं उसके बाद इसे संभव बनाने में जुट गए। आमेजन की टीम के साथ मिलकर हमने गिनीज वर्ड रिकॉर्ड की टीम से बात की, उन्होंने हमारा खूब साथ दिया।'
बनर्जी का कहना है कि विद्या बालन ने पर्दे पर उनकी मां का किरदार बेहद खूबसूरती से निभाया है। उन्होंने फिल्म में अपनी भूमिका निभा रही सनाया मल्होत्रा की भी तारीफ की है।गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रधान संपादक क्रेज ग्लेनडी का कहना है कि इतने बरस बाद भी शकुंलता देवी की यह अदभुत उपलब्धि उनके अभिलेखागार का हिस्सा है।
उनका कहना है कि इस रिकॉर्ड को तोड़ने की बात तो दूर, कोई उसकी बराबरी भी नहीं कर पाया है और यह शकुंतला देवी के दिमागी ताकत और इस मानसिक चुनौती के महत्व का स्थापित करता है। उन्होंने कहा, 'मानव कंप्यूटर के जीवन और करियर का दुनिया भर में जश्न मनाया जाना बहुत समय से लंबित था तथा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड को इसमें अपनी भूमिका निभाकर गर्व महसूस हो रहा है।'