जानिए उस कुम्भकर्णी गांव के बारे में, जहां सोने के बाद कई दिनों तक नहीं उठते हैं लोग

दुनिया भर में कई ऐसी रहस्यमयी जगह हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लोग सोने के बाद कई महीनों तक नहीं उठते हैं।

मुख्य बातें
  • दुनिया का ऐसा गांव जहां लोग चलते-चलते सो जाते हैं
  • इस समस्या के चलते यहां लोग कई दिनों तक सोये रहते हैं
  • । इस गांव का नाम है कलाची गांव, जो उत्तरी कजाकिस्तान में है स्थित

नई दिल्ली: सोना या नींद लेना तो सामान्य बात है लेकिन क्या कभी आपने सुना या देखा कि आज भी दुनिया में कुछ ऐसे लोग हैं जो कुंभकरण की तरह सोने के बाद कई दिनों तक नहीं उठते हैं। ये लोग आठ- दस दिन नहीं बल्कि कई-कई दिनों तक सोते हैं। कुंभकर्णी गांव के लोगों के इस रहस्य पर डॉक्टर ही नहीं कई विशेषज्ञ भी हैरान हैं। इस गांव में सैकड़ों लोग रहते हैं औऱ उनमें से 125 से अधिक लोग ऐसे हैं जो कई-कई दिनों तक सोये रहते हैं। इस गांव का नाम है कलाची गांव, जो उत्तरी कजाकिस्तान में स्थित है। कई लोग तो यहां के लोगों को कुंभकर्ण का रिश्तेदार तक कहते हैं।

स्लीपी होलो गांव

सोने की बीमारी वाले इन लोगों को कई तरह की शिकायतें भी हैं जिनमें यादाश्त कमजोर होना, हाई ब्लेड प्रेशर जैसी समस्याएं शामिल हैं। डॉक्टर भी इस बात से हैरान हैं कि कजाकिस्तान क्या दुनिया में कहीं भी इस तरह की बीमारी नहीं है। यहां इस तरह का पहला मामला 2010 में सामने आया था जब कुछ बच्चे स्कूल में अचानक से गिर गए और फिर सोने लगे। इसके बाद से लगातार ऐसे लोगों की संख्या में इजाफा होता रहा। लोगों की इस रहस्यमयी बीमारी का डॉक्टर से लेकर वैज्ञानिक तक रिचर्च कर रहे हैं। इस वजह से लोग इस कचाली गांव को स्लीपी होलो (Sleepy Hollow) कहते हैं।

रहस्यमयी बीमारी!

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बीमारी ने एक जानवर को भी प्रभावित किया। इसके  55 से अधिक परिवार गांव से बाहर चले गए  डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने इसी बीमारी की तह तक जाने के लिए कई परीक्षण भी किए हैं। सोने वाले शख्स को इस बात की याद नहीं रहती कि उसने पहले कौन से काम किया था। ये भी कहा जाता है कि इस गांव से कुछ ही मील की दूरी पर एक यूरेनियम की खान हैं जहां से जहरीली धुआं निकलता है। इस जहरीले धुएं की हवा लेने से लोगों को इस तरह की बीमारी हो रही है।

कहीं भी आ जाती है नींद
660 लोग इस रहस्यमयी गांव में रहते हैं और उसमें से करीब 15 फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। सबसे गौर करने वाली बात ये है कि इन लोगों को कहीं भी नींद आ जाती है चाहे वो बाजार हो या स्कूल या फिर पार्क। यहां ये लोग कई दिनों-दिनों तक सो जाते हैं।

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