वाह क्या बाता है! भीख से मिलने वाले पैसों से की कोरोना पीड़ितों की मदद

Help of corona victims with money from begging: मदद का जज्बा हो तो वो किसी भी रुप में की जा सकती है तमिलनाडु के एक शख्स ने भीख के पैसे जमाकर उसे कोरोना पीडितों के लिए दान कर दिए।

M Pul pandies of Tamil Nadu helped corona victims with money from begging
प्रतीकात्मक फोटो 

नयी दिल्ली: अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान करने वाले लोगों की इस दुनिया में कमी नहीं है, लेकिन तमिलनाडु के एम पुल पांडियां के बारे में क्या कहेंगे, जो भीख मांगने से मिलने वाले पैसों को पिछले कई बरस से दान करते चले आ रहे हैं। यह और बात है कि पहले वह स्कूलों का बुनियादी ढांचा बेहतर बनाने के लिए अपनी कमाई दान कर दिया करते थे और अब जो कमाते हैं, कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए दान कर देते हैं।

गत बुधवार को मदुरै के जिलाधिकारी कार्यालय में दानराशि जमा करने पहुंचे 64 बरस के पांडियां को देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि मानवता की सेवा करने में इस शख्स ने दुनिया के बड़े-बड़े रईसों को पीछे छोड़ दिया है।

दुबला पतला शरीर, सफेद उलझी दाढ़ी, माथे पर तिलक, सिर पर केसरिया कपड़ा पहने पांडियां पिछले कुछ दिन में भीख मांगकर जमा किए दस हजार रूपए जमा कराने पहुंचे थे।अपना पूरा जीवन गरीबी में बिताने वाले पांडियां ने मई के बाद से बीते बुधवार को छठी बार मुख्यमंत्री राहत कोष में राशि दान की है। यह पैसा उन्होंने भीख मांगकर जमा किया और उसे खुद पर खर्च करने की बजाय दान देना ज्यादा जरूरी समझा।

पांडियां का कोई घरबार नहीं है

पांडियां ने बताया, 'जब स्कूल बंद हो गए तो इन स्कूलों के अधिकारियों ने कहा कि अब महामारी के पीड़ितों को इस पैसे की ज्यादा जरूरत है तो मैंने यह पैसा उन लोगों के लिए देने का फैसला किया, जिन्हें कोविड-19 के इलाज के लिए इसकी जरूरत है। मुझे दूसरों को ज्यादा से ज्यादा देकर बहुत खुशी मिलती है।'

वह मुख्यत: दक्षिण तमिलनाडु के तीन जिलों तुथुकुडी, तंजावुर और पुडुकोट्टई में घूमते रहते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्ष से इन इलाकों के सरकारी स्कूलों के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए अपनी ‘कमाई’ दान करते चले आ रहे हैं लेकिन महामारी फैलने के बाद उन्होंने पीड़ितों के इलाज में मदद के लिए मई के बाद से यह पैसा मदुरै के जिलाधिकारी कार्यालय में जमा करवाना शुरू कर दिया।

पांडिया रात होने पर मंदिरों के बाहर सो जाते हैं

कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क लगाए पांडियां ने बताया कि वह लॉकडाउन शुरू होने से करीब दो सप्ताह पहले मदुरै आए थे और तब से जिले में ही घूम रहे हैं। इस दौरान लोगों से कुछ पैसा देने का आग्रह करते हैं और कुछ भी मिलने पर उसे बड़े जतन से सहेज लेते हैं। रात होने पर मंदिरों के बाहर सो जाते हैं और लोगों से मिला खाना खाकर पेट भर लेते हैं।

पैसा कमाने के लिए तमाम बुरे तरीके अपनाने वाले लोगों को पांडियां से सबक लेना चाहिए जो भले भीख मांगकर पैसा कमाते हैं, लेकिन उसे खुद पर खर्च नहीं करते। जो दे सकते हैं उनसे लेकर उन लोगों को देते हैं, जिन्हें उसकी ज्यादा जरूरत है। यह बात दीगर है कि उन्होंने कभी यह नहीं सोचा कि उन्हें खुद भी इस पैसे की जरूरत है।

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