Mothers day: कानपुर के इन मां-बेटों ने घर पर ही जीती कोविड-19 की जंग, मदर्स डे पर जानें इनकी कहानी

Mothers Day Special: इस मदर्स डे जानते हैं कानपुर के एक मां बेटे की कहानी कि कैसे उन्‍होंने घर पर ही रहकर कोविड को मात दी और आज स्‍वस्‍थ हो गए हैं। 

Mothers day Special
Mothers day Special 

Mother's Day Special, How a Son and Mother won covid 19 Battle at Home: जब 2020 में कोविड ने भारत में पैर पसारने शुरु किये, तब लोगो के मन में भय तो था परंतु घर में ठहर कर सुरक्षित बने रहने की आशा भी थी। लोग थाली बजा रहे थे और दिया जला रहे थे। इस बार मंजर अलग है। लोग ऑक्सीजन की गुहार लगा रहे हैं और चिताएं मरघट के लिये तरस रही हैं। कानपुर जैसे शहर में हर दूसरे घर में पूरा का पूरा परिवार सर्दी, जुकाम और बुखार से पीड़ित है। हर कोई जाँच भी नहीं करा रहा है। 

जाने कितने लोगों ने अपनी जान गवाई, किसी ने माँ, किसी ने पिता, किसी ने बेटा, किसी ने बेटी, किसी ने पति, किसी ने पत्नी, बाकी चैन और सुकून तो सभी ने खोया। अभी पिछले साल ही तो लॉकडाउन में मदर्स डे सेलिब्रेट किया था, लेकिन इस साल कई घरौंदों से माँ का साया ही उजड़ गया। इस भयावह पक्ष से अलग एक सकारात्मक पक्ष भी है कि अधिकतर लोगों को कोविड माइल्ड लक्षण या बिना लक्षण के आता है, जिसमें अगर सकारात्मकता से ध्यान देकर ढंग से इलाज़ कर लिया जाए तो कोविड को बहुत आसानी से हराया जा सकता है।

इस मदर्स डे जानते हैं कानपुर के एक मां बेटे की कहानी कि कैसे उन्‍होंने घर पर ही रहकर कोविड को मात दी और आज स्‍वस्‍थ हो गए हैं। यह कहानी है युवा लेखक भगवंत अनमोल की। भगवंत अनमोल (Bhagwant Anmol) ने टाइम्‍स नाउ से बातचीत में बताया- 

"मेरी माँ ने रामनवमी को सर दर्द की शिकायत की थी। मैंने इसे सिर्फ ‘रामनवमी प्रभाव’ समझ लिया था। सोचा था कि सुबह जल्दी जागने या नींद न पड़ने के कारण होगा। जब अगले दिन भी उनकी यही शिकायत रही तो मैं डर गया। मैं सोशल मीडिया में लगातार खबरें देख रहा था और लखनऊ की वह वायरल तस्वीर दिमाग में घूमने लगी, जिसमे कई चिताएं एकसाथ जल रही थी। देश का हाल यह था कि एक तरफ चिताएं जलाने के लिए लोगो को लाइन लगानी पड़ रही थी और दूसरी तरफ चुनावी रैलियों में भीड़ उमड़ रही थी।  

मैंने हिम्मत से काम लिया और तुरंत थर्मामीटर से बुखार की जाँच की। तापमान 99 डिग्री फोरेन्हाईट के आसपास ही था। अब मैं लगभग कन्फर्म होता जा रहा था कि इन्हें कोविड ही है। मैंने उसी दिन से उन्हें घरेलू उपचार जैसे अजवाइन डालकर गरम पानी का भाप लेना, गरम पानी पीना, नीम्बू पानी, नारियल पानी और संतरे खिलाने जैसे काम शुरू कर दिया था। जब तीसरे दिन भी उनकी लगभग यही स्थिति रही तो  मैंने तुरंत ही एक डॉक्टर से सलाह ली और मम्मी की कोरोना की दवाइयाँ खिलानी शुरू कर दी।

तब तक मैंने पूरी कोशिश की कि किसी मेडिकल स्टोर से ऑक्सीमीटर मिल जाए। तब तक यह ख़बर आम हो गयी थी कि लोगों की मौतें ऑक्सीजन की कमी के कारण हो रही हैं। मैंने तुरंत दिमाग लगाया यदि ऑक्सीजन पर निगरानी रखी जाए, तो हर संभव खतरे से बचा जा सकता है। यह भी शंका हुई कि यदि कोरोना नहीं है, कोई अन्य बीमारी है तो भी दिक्कत हो सकती है। 

सकारात्‍मक रहकर कोविड को हराया

भगवंत अनमोल बताते हैं कि घर का सारा काम मैं ही सँभालने लगा था। यह डर कि कोविड संक्रमित व्यक्ति के पास जाने पर कोविड का खतरा बढ़ जाता हैं, कहीं दूर भाग जाता है। ऐसा होना तब और लाज़मी हो जाता है, जब माँ आपकी सिंगल पैरेंट हों और जीने के लिए उनके अलावा कोई दूसरा सहारा न हो, तब अपनी फ़िक्र कौन कर सकता है? 

24 अप्रैल, जिस दिन हमने माँ का और अपना टेस्ट कराया, उस दिन से हम दोनों आइसोलेट हो गए। कुछ ही दिन में हमारी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई।इस बीच माँ को समय पर दवा, खाना, गरम पानी, भाप, नाश्ता सब टाइम पर दिया जाता था। अब तक मेरी दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी। माँ की हालत में कोई सुधार नही था। कोरोना के बावजूद मां को हमेशा सकारात्‍मक बातों से बांधे रखा, उनकी हिम्‍मत को टूटने नहीं दिया। घर पर सही मॉनिटरिंग और ख्‍याल से उनकी हालत में सुधार होने लगा।

लापरवाही ना करें, सही समय पर इलाज लें 

भगवंत अनमोल बताते हैं कि मुझे किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी। बस कमजोरी महसूस होने लगी थी। अब जब इतने दिन आइसोलेशन में रहकर छत की पीओपी देखते और पंखे की स्पीड नापते हो गया तो ध्यान इस बात पर भी गया कि माँ को कोरोना हुआ कहाँ से? वह आखिर जाती ही कहाँ है? फिर ख्याल आया, हो सकता है मैं ही लाया हूँ। मेरे अन्दर लक्षण ही नही है। मैं कल तक खुद को ही गुनेहगार माने हुए था कि खबर आई कि ऊपर रह रहे लोगों की सत्तर वर्षीय माँ की बीपी हाई होने की वजह से मौत हो गयी। अब मेरा दिमाग घूम गया, ऊपर वाले कई दिनों से खांस और छींक रहे थे। पूछने पर बताते थे- वायरल है, दवा खा रहे हैं और वह वायरल पूरे घर को हो गया और मम्मी भी ऊपर जाती थी। वही मेरी माँ और उनकी माँ को भी हो गया। उनकी माँ की उमर ज्यादा थी सो, झेल नही पायी। उनकी माँ उनकी अनभिज्ञता का शिकार हुई। सबकी दुआएं थी, हम दोनों माँ बेटे मदर्स डे मना रहे हैं! कईयों की माँ को इस अनभिज्ञता, सरकारी फेलियर और प्राकृतिक आपदा ने लील लिया। इन बातों का रखें ध्‍यान-

1- यदि आपको सर्दी, खांसी, बुखार, सर-दर्द, बदन-दर्द जैसे कोई भी लक्षण हैं तो वह वायरल या टाइफाइड नही है। कोविड ही है। बिना देर किये उपचार शुरू कर दें और आइसोलेट हो जाए।

2- खूब गरम पानी पिए, नीम्बू, संतरा का सेवन करे और भाप लें।

3- कोविड से तनिक भी डरे नहीं, पैनिक न करें। आराम से इसे एक बीमारी की तरह ले और आप विश्वास करे कि अगर आप सब कुछ समय रहते उपचार कर लेंगे तो यह आपका कुछ नही बिगाड़ पायेगा। 

4- व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के पर्चे पर इलाज न करे, न ही किसी मित्र से सलाह लें। किसी डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है और उनके संपर्क में रहें।

5- ठीक होकर प्लाज्मा डोनेट करें। हमने अपने कई मित्रों को खोया है, अब दूसरो के मित्रों को बचाने का समय हैंं। कईयों ने अपनी माँ को खोया है, अब हमें दूसरों की माँओं को बचाने का वक्त है ताकि अगले साल का मदर्स डे सभी अपनी माँ के साथ मना सकें।

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