बेंगलुरू : बेंगलुरू से 60 किमी दूर स्थित कनकपुरा गांव इन दिनों लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ग्रामीणों ने यहां खेतों में सांप की एक केंचुली देखी जिसके सात सिर थे। सांप की अजीबोगरीब केंचुली देखकर लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। हैरत की बात तो ये है कि ये सर्प केंचुली एक मंदिर के पास से बरामद किया गया जिसके बाद वहां पर लोगों ने हल्दी और कुमकुम लगाकर उसकी पूजा करना शुरू कर दिया।
माइथोलॉजी में शेषनाग का जिक्र होता आया है जिसके सांप के सात सिर बताए गए हैं। मंदिर के पास पाए गए सात सिर इस सांप की केंचुली को देखकर लोगों को विश्वास होने लगा कि ये वाकई में आज भी कहीं न कहीं अस्तित्व में है। इसी विश्वास के साथ उन्होंने हल्दी और कुमकुम लेकर उसकी पूजा करनी शुरू कर दी।
इसकी तस्वीरें देखते-देखते सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो गईं। स्थानीय न्यूज चैनल पर भी इसके वीडियोज और फोटोज दिखाए जाने लगे। एक ग्रामीण ने बताया कि कुछ 6 महीने पहले भी इसी प्रकार की सांप की एक केंचुली पाई गई थी। दूसरी बार ऐसा होने पर लोगों का मानना है कि यहां पर ईश्वर की दैवीय शक्ति वास करती है ऐसे में यहां पर मंदिर बनाया जाना चाहिए।
उनका मानना है कि अब तो मंदिर के पास ही ये पाया गया है जिसका संकेत है कि यहां पर भगवान की शक्ति है। मंदिर की सफाई करने वाले एक कर्मचारी ने सफाई के दौरान इसे सबसे पहले देखा जिसके बाद उसने सारे गांव वालों को इसकी सूचना दी। देखते-देखते ये खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। जिस जगह पर ये पाया गया वह जगह मंदिर प्रांगण से मात्र 10 फीट दूर है।
सर्प विशेषज्ञों ने हालांकि इस तरह के किसी भी सांप के जीवित रहने की बात को नकार दिया है। उन्होंने बताया कि वास्तव में तो दो मुंह वाले ही सांप अभी अस्तित्व में हैं वे भी अब लुप्त होते जा रहे हैं। जिस तरह कभी-कभी दो सिर वाले बच्चे पैदा लेते हैं ठीक उसी प्रकार से दो मुंहे सांप भी होते हैं।
बता दें कि हर प्रकार के सांप अपनी ग्रोथ के लिए अपने पुराने स्किन (केंचुली) का त्याग करते हैं। हर तीन महीने से दो महीने के बीच में एक बार वे अपनी स्किन का त्याग करते हैं।