OMG: कांच की 62 बोतलों को तोड़ा, फिर उस पर लेटकर शख्स ने की कांवड़ यात्रा

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आदित्य साहू
Updated Jul 26, 2022 | 20:04 IST

Kanwar Yatra: नोएडा के एक शिव भक्त बहुत ही अनोखी तरह से कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। वह कांच के ढेर पर लेटकर कांवड़ यात्रा के लिए निकले। ग्रेटर नोएडा के घोड़ी बछेड़ा गांव के सुभाष रावल उत्तराखंड के गोमुख से गंगाजल उठाकर पैदल आए। 

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कांवड़ यात्रा  |  तस्वीर साभार: People
मुख्य बातें
  • शख्स ने अपने कारनामे से किया हैरान
  • कांच के टुकड़े पर लेटकर कर रहे कावड़ यात्रा
  • कांच पर लेटकर 15 किलोमीटर का सफर करेंगे तय

Kanwar Yatra: सावन का पवित्र महीना शुरू होने के साथ ही भगवान भोलेनाथ के भक्त कांवड़ यात्रा पर निकल पड़े हैं। कई-कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर कांवड़िए भगवान शिव को जल चढ़ाने पहुंच रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्रेटर नोएडा के एक शिव भक्त बहुत ही अनोखी तरह से कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। वह कांच के ढेर पर लेटकर कांवड़ यात्रा के लिए निकले। ग्रेटर नोएडा के घोड़ी बछेड़ा गांव के सुभाष रावल उत्तराखंड के गोमुख से गंगाजल उठाकर पैदल आए। 

इसके बाद वह दादरी के चिटहेड़ा गांव के शिव मंदिर पहुंचे। यहां से उन्होंने बहुत ही अनोखी तरह की कांवड़ यात्रा शुरू की है। यहां से उनका गांव करीब 15 किलोमीटर है। यहीं उन्होंने कांच की 62 बोतलों को तोड़ा और फिर उसपर लेटकर यात्रा शुरू की। इस यात्रा में उनके दो बेटों ने उनकी मदद की। उनके बड़े बेटे ने बताया कि दोनों भाई ने मिलकर कांच की करीब 62 बोतलों को तोड़ा और उन्हें एक बिछोने पर इकट्ठा किया। फिर इस बिछौने को जमीन पर रख दिया और उनके पिता सुभाष रावल ने 15 किलोमीटर की यात्रा को अर्धनग्न अवस्था में कांच के टुकड़ों पर लेटकर पूरा करेंगे।

कांच के टुकड़ों पर लेट कर पूरी कर रहे कांवड़ यात्रा

कांवड़ यात्रा के दौरान उनके साथ एक डीजे भी चल रहा है। वहीं सुभाष रावल शिव भक्ति में लीन होकर कांच पर लेटकर अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस यात्रा के दौरान सुभाष को कोई खरोच भी नहीं आ रही है। ग्रामीणों के अनुसार, सुभाष रावल काफी लंबे समय से कांवड़ ला रहे हैं। वह चौथी बार कांच के ढेर पर लेटकर कांवड़ यात्रा ला रहे हैं। वह चिटहेड़ा गांव के शिव मंदिर से गांव के प्राचीन शिव मंदिर तक कांच के ढेर पर लेटकर ही जाते हैं। इसके बाद वह जलाभिषेक करते हैं। उनकी यह यात्रा देखकर लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं।

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