कोरोना: रामचरित मानस की चौपाइयों की हो रही है गलत व्याख्या, यहां पढ़ें क्या है सच

Ramcharit Manas and Coronavirus: रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों को आज के कोरोना काल से जोड़कर देखा जा रहा है। खासतौर से चमगादड़ों के बारे में गलत व्याख्या की जा रही है क्या सच है हम आपको यहां पर बताएंगे।

कोरोना: रामचरित मानस की चौपाइयों की हो रही है गलत व्याख्या, यहां पढ़ें सही व्याख्या
कोरोना केस से पूरी दुनिया प्रभावित 
मुख्य बातें
  • रामचरित मानस के चौपाई नंबर 120 में लिखा है कि जब धरती पर निंदा बढ़ेगी,पाप बढ़ेगा तब चमगादड़ अवतरित होंगे।
  • चौपाई नंबर 121 का अर्थ है कि एक बीमारी की वजह से नर मरेंगे और उसकी सिर्फ एक दवा होगी प्रभु भजन, दान और समाधि में रहना यानी लॉकडाउन।
  • चौपाई का आशय है कि जो लोगों की निंदा करता है, वो अपने दूसरे जन्म में चमगादड़ बनता है। इन दोहों में ऐसा कहीं कोई जिक्र नहीं है कि कोरोना जैसी बीमारी के वजह से लोगों की मौत होगी।  

नई दिल्ली। गोस्वामी तुसलीदास कृत रामचरित मानस की दो चौपाइयों को गलत तरीके से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया के हवासे से  हिंदू ग्रंथ रामचरितमानस की चौपाई का एक फोटो वायरल हो रहा है। इसके तहत यह दावा किया जा रहा है कि ग्रंथ में कोरोनावायरस महामारी का जिक्र है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। 

सोशल मीडिया पर रामचरित मानस के एक पन्ने की तस्वीर शेयर की जा रही है और यह दावा किया जा रहा है कि रामचरित मानस के चौपाई नंबर 120 में लिखा है कि जब धरती पर निंदा बढ़ेगी,पाप बढ़ेगा तब चमगादण अवतरित होंगे। चारों तरफ उससे जुड़ी हुई बीमारी फैलेगी और लोग मरेंगे। यह भी दावा किया जा रहा है कि चौपाई नंबर 121 का यह अर्थ है कि एक बीमारी की वजह से नर मरेंगे और उसकी सिर्फ एक दवा होगी प्रभु भजन, दान और समाधि में रहना यानी लॉकडाउन।

हमने इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुजीत जी महाराज से बात की तो उन्हें रामायण के इन चौपाइयों के वायरल हो रहे इस अर्थ को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि इस चौपाई में मानस रोग की बात की गई है और इसमें 200 से ज्यादा देशों में फैले कोरोनावायरस महामारी के बारे में कोई भी जिक्र नहीं है।, वायरल हो रही इस चौपाई का आशय है कि जो लोगों की निंदा करता है, वो अपने दूसरे जन्म में चमगादड़ बनता है। इन दोहों में ऐसा कहीं कोई जिक्र नहीं है कि कोरोना जैसी बीमारी के वजह से लोगों की मौत होगी।  


चौपाई नंबर (120)

सब कै निन्दा जे जड़ करहीं,ते चमगादुर होइ अवतरहीं।

सुनहू तात अब मानस रोगा,जिन्ह ते दुख पावहिं सब लोगा।

मोह सकल व्याधिह्न कर मूला,तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला।

काम बात कफ लोभ अपारा,क्रोध पित्त नित छाती जारा।'

चौपाई 121 (क) 

'एक ब्याधि बस नर मरहिं,ए असाधि बहु ब्याधि।

पीड़हिं सन्तत जीव कहुँ,सो किमि लहै समाधि।'

दरअसल इस चौपाई के वायरल होने का एक कारण यह भी हो सकता है कि पूरी दुनिया में यह बात जंगल मे लगी आग की तरह फैली है कि कोरोना वायरस जिससे 1 लाख 80 हजार से ज्यादा लोग मर चुके हैं वह चीन के वूहान नामक शहर में चमगादड़ों से फैला है। एक थ्योरी के तहत यह दावा किया गया कि चमगादड़ का सूप पीने से कोरोना वायरस बीमारी हुई। दूसरी थ्योरी के तहत यह बात कहीं गई कि चमगादड़ों को सांप ने डंसा था और उसी का सूप पीने से यह बीमारी फैली।

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