Hindi Diwas Par Kavita- हिंदी दिवस के मौके पर पूरा देश इसके संरक्षण और संवर्धन में जुटा हुआ है। इसमें कोई दो मत नहीं कि हिंदी सर्वग्राही है, हिंदी भाषा एक तरह से हर एक में समाहित है और खुले भाव से दूसरी भाषाओं के शब्दों को स्वीकार भी किया है। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सरकारें अपने स्तर पर प्रयास करती हैं। लेकिन अगर हिंदी भाषी यूपी की बात करें तो इस साल बोर्ड की परीक्षा में कुल 11 लाख छात्र हिंदी में अनुत्तीर्ण हो गए। यह सोचने वाली बात है, यह निराशा को भी जन्म देती है। लेकिन यहां एक खास कविता के जरिए आप समझ सकेंगे की हिंदी की बुनियाद कितनी मजबूत है।
आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि भाषा पर अच्छी पकड़ उन लोगों की होती है जिनका सीधा सीधा सरोकार होता है। लेकिन अभिव्यक्ति के लिए किसी खास शैक्षिक विषय से जुड़ना जरूरी नहीं है। तकनीक के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग भी बेहतरीन तरह से अपने विचार और भाव को शब्दों के जरिए पिरो देते हैं।
हिन्दी की गौरव गाथा
हिन्दी के गुरूता को जानें,
पुनः एकीकरण का यही निदान।
विश्वगुरू कहलाने वाले,
फिर हुंकार रहा है हिंदुस्तान।।
आत्म अवलोकन आज नहीं तो,
कल बहुत पछताओगे।
पश्चिमीकरण के नाम पर,
अपनी अस्मिता गँवाओगे।।
अपनी संस्कृति को करूँ उजागर,
यह प्रथम कर्तव्य मेरा।
राष्ट्र के गौरव गाथा में,
हिन्दी का है योगदान बड़ा।।
पहले वैदिक फिर पाली,
तो कभी प्राकृत का रूप धरा।
फिर आया अपभ्रंश नाम से,
तब हिन्दी का आविर्भाव हुआ।।
कालजयी इस भाषा को,
तुच्छ ना समझे कोई।
हिन्द सभ्यता के मूलाधार का,
परिज्ञान का ये कोष अपार।।
बहुभाषी के हों मर्मज्ञ,
पर हिन्दी पहुँचाएँ सर्वज्ञ।
यही है दायित्व मेरा,
यही अर्चना और कृत्य।।
हिन्दी बोल कभी ना समझो,
तुम अपना अपमान,
अपनी वाक् अपनी संस्कृति से,
है अलंकृत हिन्दुस्तान।।
(स्वधा सिंह, एस एस टेक्नो बिल्डकॉन की सीईओ हैं। )