सावन में निभाई जाती है हैरान करने वाली परंपरा, यहां 5 दिनों तक बिना कपड़ों के रहती हैं महिलाएं

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आदित्य साहू
Updated Jul 26, 2022 | 14:57 IST

Without Clothes Tradition: हम आपको जिस परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, उसे जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे। यह परंपरा हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में निभाई जाती है। आपका जानकर हैरानी होगी कि इस परंपरा के तहत औरतें साल में 5 दिन बिना कपड़ों के रहती हैं।

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अनोखी परंपरा  |  तस्वीर साभार: People
मुख्य बातें
  • हिमाचल प्रदेश के गांव में निभाई जाती है अनोखी परंपरा
  • सावन में निभाई जाती है अजीबोगरीब परंपरा
  • 5 दिनों तक बिना कपड़ों के रहती हैं महिलाएं

Without Clothes Tradition: भले ही आज हम 21वीं सदी में पहुंच गए है, लेकिन देश-दुनिया में कई ऐसी परंपराएं (Tradition) निभाई जाती हैं, जिनके बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आज हम आपको जिस परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, उसे जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे। यह परंपरा हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में निभाई जाती है। आपका जानकर हैरानी होगी कि इस परंपरा के तहत औरतें साल में 5 दिन बिना कपड़ों के रहती हैं।

हिमाचल प्रदेश में निभाई जाती है अनोखी परंपरा

यह अजीबोगरीब परंपरा हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण घाटी के पीणी गांव में निभाई जाती है। सबसे हैरान करने वाली बात है कि यहह परंपरा सावन के महीने में निभाई जाती है। इस गांव के लोगों का मानना है कि अगर परंपरा निभाए जाने वाले 5 दिनों में किसी महिला ने कपड़े पहन लिए तो उसके घर में बहुत बड़ा अशुभ हो जाएगा। इसके अलावा कोई अप्रिय समाचार या किसी की मौत भी हो सकती है। इसी वजह से इस परंपरा को सालों से गांव के प्रत्येक घर में निभाया जाता है।

इस परंपरा के निभाने के पीछे एक कहानी है। गांव के लोग बताते हैं कि सदियों पहले यहां एक राक्षस रहता था। वह गांव में आता था और सुंदर कपड़े पहनने वाली औरतों को उठा ले जाता था। इस राक्षस का अंत लाहुआ नाम के देवता ने किया था। गांव के लोग मानते हैं कि आज भी गांव में लाहुआ देवता आते हैं। वह यहां की बुराइयों से लड़ते हैं। इस कारण अभी भी यह परंपरा निभाई जाती है। इन पांच दिनों में गांव में मांस-मदिरा का सेवन पूरी तरह से बंद हो जाता है। 

समाज से खुद को अलग कर लेती हैं महिलाएं

महिलाएं इन 5 दिनों में खुद को समाज से बिल्कुल अलग कर लेती हैं। इसके साथ ही इन 5 दिनों में किसी तरह का जश्न, कार्यक्रम नहीं होता है। यहां तक कि इन 5 दिनों में हंसना भी बंद कर दिया जाता है। हालांकि, समय के साथ इस परंपरा में भी कुछ बदलाव हुआ है। जहां पहले परंपरा निभाने के लिए महिलाएं पांच दिनों तक बिना कपड़े के रहती थीं। वहीं अब वह बेहद पतला कपड़ा पहनती हैं और कपड़े बदलती नहीं हैं।

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