नई दिल्ली: वो सपूत जो कोरोना महामारी के संकट में दिन रात देशवासियों के हिफाजत में लगे हुए, वो लोग जिन्हें हमारे परिवार की सुरक्षा के लिए अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है। ऐसी बातें अक्सर सीमा पर खड़े सेनानियों के लिए कही जाती हैं लेकिन उन पुलिसकर्मियों की भी हमें सुरक्षित रखने में कम भूमिका नहीं है जो इन दिनों किसी भी चीज की परवाह किए बिना लगातार अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। ये वही लोग हैं ये कोरोना वायरस और देश की 130 करोड़ जनता के बीच दीवार बनकर खड़े हैं और अपनी खुशियां किनारे रखकर ड्यूटी कर रहे हैं।
उदाहण से समझना चाहते हैं तो उत्तर प्रदेश के इटावा स्थित कोतवाली में तैनात रमाकांत की कहानी सुनिए। घर में लक्ष्मी का आगमन हुआ, बाहें बेटी को गोद में उठा लेने के लिए मचल रही थीं और जी करता था अपनी नन्हीं परी को घर जाकर जी भर देखें लेकिन यूपी पुलिस के सिपाही ने खुशी के पलों को संतोष की चादर से ढक दिया कि पहले ड्यूटी कर लूं, इस महामारी का संकट टल जाए फिर बेटी से जाकर मिलूंगा।
बेटी का जन्म, ड्यूटी के खातिर रोक लिए कदम: पुलिस कॉन्स्टेबल रमाकांत कठिन समय में अपनी ड्यूटी छोड़कर घर नहीं गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वह समझ गए कि फिलहाल सही समय का इंतजार करना ही बेहतर है। बीते 2 अप्रैल को उनके घर पर बेटी ने जन्म लिया था, खबर सुनी तो खुशी का ठिकाना न रहा लेकिन अगले ही पल पुलिस के सिपाही ने उत्साह को नियंत्रित किया। बोले- 'दिल तो किया बेटी को गोद में उठाने एटा चला जाऊं लेकिन महामारी से निपटने और भी जरूरी है इसलिए अब लॉकडाउन के बाद ही ये ख्वाहिश पूरी होगी।'
अपनी परी को वीडियो कॉल देख लेता हूं: तो क्या हुआ अगर जाकर मिलने में अभी देर है, कॉन्स्टेबल रमेश फोन पर वीडियो कॉल के जरिए बेटी का चेहरा देख लेते हैं और उनका कहना है कि आगे भी ऐसे ही अपनी परी से मिलता रहूंगा। बेटी का नामकरण संस्कार भी है लेकिन कोई बात नहीं, अब महामारी से निपटकर ही मुलाकात होगी।