आगामी 2 अक्टूबर 2020 को महात्मा गांधी की 151वीं जयंती मनाई जाएगी। इस मौके पर हम आपको उनसे जुड़ा एक किस्सा बताते हैं। एक लेख है, जिसका शीर्षक है- माई सॉरो, माई शेम। इसें पढ़ने पर पता चलता है कि उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद में स्थित अपने आश्रम में रहने वाले लोगों की एक छोटी सी बात पर जमकर आलोचना की थी। इन लोगो में उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी भी शामिल थीं।
इस लेख में गांधी जी ने कहा है कि अगर मैं ये नहीं करता तो मुझे लगता कि यह नियम का उल्लंघन होगा। दरअसल मामला 4 रुपए से जुड़ा हुआ था। वे नैतिकता से संबंधित कोई भी समझौता नहीं करना चाहते थे। इस लेख से इसी बात का पता चलता है। उन्होंने ये भी कहा था कि हालांकि उन्होंने कभी कस्तूरबा के गुणों का वर्णन करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई लेकिन उनकी कुछ कमजोरियां भी हैं जिसे बताना मुझे जरूरी लगा।
बापू ने लिखा कि एक या दो साल पहले कस्तूरबा ने अपने पास 100 या 200 रुपए रखे थे जो उन्हें अलग-अलग मौकों पर लोगों से भेंट स्वरूप मिले थे। वे उन्हें दिए गए थे इसलिए वे इन रुपयों को अपना मानकर नहीं रख सकती थीं। आश्रम में कुछ चोरों के घुस जाने के बाद उनकी चूक पकड़ में आ गई। कुछ दिन पहले कुछ लोगों ने उन्हें चार रुपए भेंट किए। नियम के मुताबिक ये रुपए दफ्तर में जमा करने के बजाए उन्होंने अपने पास रख लिए। इस बात की जानकारी उन्हें आश्रम के एक अन्य निवासी ने दी। इस पर जब गांधी जी ने उन्हें सवाल किया तो उन्होंने वे पैसे लौटा दिए और कहा कि ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। उन्होंने यहां तक कहा कि भविष्य में अगर फिर से इस तरह की चूक या गलती हुई तो वे मुझे और आश्रम को छोड़ देंगी।