‘दीन दयाल बिरिदु संभारी’। पीएम मोदी ने राम मंदिर भूमि पूजन में किया दोहों और श्लोकों का प्रयोग

PM Modi used couplets: अयोध्या में राम मंदिर पूजन के मौके पर पीएम मोदी ने सारगर्भित संबोधन दिया इसमें उन्होंने कई संस्कृत के दोहों और श्लोकों का प्रयोग किया।

Know how many times PM Modi used couplets in Ram Mandir Bhoomi Pujan
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-“न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत”॥ 

अयोध्या: भगवान राम की नगरी अयोध्या के लिए 5 अगस्त की तारीख ऐतिहासिक हो गई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया। इसके साथ ही अयोध्या में भव्य एवं दिव्य राम मंदिर के निर्माण का शुभारंभ हो गया। मंदिर के लिए भूमिपूजन करने के बाद पीएम ने वहां उपस्थित लोगों को संबोधित किया, पीएम मोदी ने बेहद प्रभावशाली संबोधन में भगवान राम के कई निर्देशों का जिक्र किया साथ ही कुछ दोहों और श्लोकों के माध्यम से भगवान राम की महिमा को बताया।

इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान राम की महिमा और भारत के लिए उनके महत्व को रेखांकित किया। पीएम मोदी ने कहा कि राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं। कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं।

आप भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए। इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। 

पीएम मोदी ने कई दोहों और संस्कृत के श्लोकों का इस्तेमाल भी अपने संबोधन में किया-

राम काजु कीन्हे बिनु मोहि कहाँ बिश्राम॥

‘दीन दयाल बिरिदु संभारी’।

“जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि”॥

“न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत”

“नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना”॥

“प्रहृष्ट नर नारीकः,समाज उत्सव शोभितः”॥

“कच्चित् ते दयितः सर्वे, कृषि गोरक्ष जीविनः”। 

“कश्चिद्वृद्धान्चबालान्च, वैद्यान् मुख्यान् राघव। त्रिभि: एतै: वुभूषसे”॥

 “जौंसभीतआवासरनाई।रखिहंउताहिप्रानकीनाई”॥ 

“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”॥

 “भयबिनुहोइन प्रीति”॥

देशकाल अवसर अनुहारी। बोले बचन बिनीत बिचारी॥

“कालम् ताय, ईण्ड इनुम इरुत्ति पोलाम्”॥

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-“न्राम सदृशो राजा, प्रथिव्याम् नीतिवान् अभूत”॥ यानि कि, पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के जैसा नीतिवान शासक कभी हुआ ही नहीं! श्रीराम की शिक्षा है-“नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना”॥ कोई भी दुखी न हो, गरीब न हो। श्रीराम का सामाजिक संदेश है- “प्रहृष्ट नर नारीकः,समाज उत्सव शोभितः”॥ नर-नारी सभी समान रूप से सुखी हों। श्रीराम का निर्देश है- “कच्चित् ते दयितः सर्वे, कृषि गोरक्ष जीविनः”। किसान, पशुपालक सभी हमेशा खुश रहें। श्रीराम का आदेश है-“कश्चिद्वृद्धान्चबालान्च, वैद्यान् मुख्यान् राघव। त्रिभि: एतै: वुभूषसे”॥ बुजुर्गों की,बच्चों की, चिकित्सकों की सदैव रक्षा होनी चाहिए। श्रीराम का आह्वान है- “जौंसभीतआवासरनाई।रखिहंउताहिप्रानकीनाई”॥ जो शरण में आए,उसकी रक्षा करना सभी का कर्तव्य है। श्रीराम का सूत्र है- “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”॥ अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। और भाइयों और बहनों, ये भी श्रीराम की ही नीति है- “भयबिनुहोइन प्रीति”॥ इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतनी ही प्रीति और शांति भी बनी रहेगी।

राम की यही नीति और रीति सदियों से भारत का मार्गदर्शन करती रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने, इन्हीं सूत्रों, इन्हीं मंत्रों के आलोक में, रामराज्य का सपना देखा था। राम का जीवन, उनका चरित्र ही गांधीजी के रामराज्य का रास्ता है।

उन्होंने बताया कि स्वयं प्रभु श्रीराम ने कहा है-

देशकाल अवसर अनुहारी। बोले बचन बिनीत बिचारी॥

अर्थात, राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं, करते हैं।

राम हमें समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं, चलना सिखाते हैं। राम परिवर्तन के पक्षधर हैं, राम आधुनिकता के पक्षधर हैं। उनकी इन्हीं प्रेरणाओं के साथ, श्रीराम के आदर्शों के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है!

प्रभु श्रीराम ने हमें कर्तव्यपालन की सीख दी है, अपने कर्तव्यों को कैसे निभाएं इसकी सीख दी है! उन्होंने हमें विरोध से निकलकर, बोध और शोध का मार्ग दिखाया है! हमें आपसी प्रेम और भाईचारे के जोड़ से राममंदिर की इन शिलाओं को जोड़ना है। हमें ध्यान रखना है,जब जबमानवता ने राम को माना है विकास हुआ है, जब जब हम भटके हैं विनाश के रास्ते खुले हैं! हमें सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है। हमें सबके साथ से, सबके विश्वास से, सबका विकास करना है। अपने परिश्रम, अपनी संकल्पशक्ति से एक आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है।

तमिल रामायण में श्रीराम कहते हैं-

“कालम् ताय, ईण्ड इनुम इरुत्ति पोलाम्”॥

भाव ये कि, अब देरी नहीं करनी है, अब हमें आगे बढ़ना है!

आज भारत के लिए भी, हम सबके लिए भी, भगवान राम का यही संदेश है! मुझे विश्वास है, हम सब आगे बढ़ेंगे, देश आगे बढ़ेगा! भगवान राम का ये मंदिर युगों-युगों तक मानवता को प्रेरणा देता रहेगा, मार्गदर्शन करता रहेगा! वैसे कोरोना की वजह से जिस तरह के हालात हैं,प्रभु राम का मर्यादा का मार्ग आज और अधिक आवश्यक है।
 

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