दक्षिण भारत के एक व्यवसायी ने काशी विश्वनाथ मंदिर (KVT) को 60 किलोग्राम सोना दान किया है, जिसमें से 37 किलोग्राम जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के वजन के बराबर है, उसे गर्भगृह की भीतरी दीवारों को सजाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। दान देने वाले व्यवसायी ने गुमनाम रहना पसंद किया है। भीतरी दीवारों पर सोने की परत की चमक तब पहली बार जनता ने देखी जब प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को अपने लोकसभा क्षेत्र के अपने हालिया दौरे के दौरान मंदिर में पूजा-अर्चना की।
'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के अनुसार, सूत्र ने कहा कि गर्भगृह की भीतरी दीवार पर सोने की परत चढ़ाने में इस्तेमाल होने वाली पीली धातु पीएम मोदी की मां हीराबेन के वजन के बराबर है, जिन्होंने हाल ही में 100 साल की उम्र पूरी की है। मंदिर में सोने के काम के बारे में बात करते हुए वाराणसी के डिविजनल कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि मंदिर को 60 किलो सोना मिला है, जिसमें से 37 किलो का इस्तेमाल भीतरी दीवार पर सोना चढ़ाने के लिए किया गया है। शेष 23 किलोग्राम का उपयोग मुख्य मंदिर संरचना के स्वर्ण गुंबद के निचले हिस्से को ढकने के लिए किया जाएगा।
18वीं शताब्दी के बाद मंदिर के किसी भी हिस्से को ढकने के लिए सोने के इस्तेमाल का यह दूसरा बड़ा काम है। मुगलों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिर का पुनर्निर्माण 1777 में इंदौर की होल्कर रानी महारानी अहिल्याबाई द्वारा किया गया था, जिसके बाद पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने एक टन सोना दान किया था, जिसका उपयोग मंदिर के दो गुंबदों को ढंकने के लिए किया गया था।
2017 में राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद हाल ही में मंदिर का जीर्णोद्धार और विस्तार पूरा हुआ है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के नाम की यह परियोजना 900 करोड़ रुपए की लागत से पूरी हुई है। इसके लिए 300 से अधिक आस-पास की इमारतों को खरीदा गया था और मंदिर क्षेत्र को 2700 वर्ग फुट से बढ़ाकर 5 लाख वर्ग फुट कर दिया गया था, जिससे जलासेन, मणिकर्णिका और ललिता घाटों के माध्यम से गंगा नदी के साथ सीधा संपर्क हो गया था।
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