Kashi Vishwanath: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में खेली जाने वाली इस बार की होली अपने आप में अनोखी होगी। रंगभरी एकादशी का त्योहार 13 मार्च (रविवार) को मनाया जाएगा, फागुन माह की एकादशी को रंग भरी होली का अपना अलग ही अंदाज होगा। इस अवसर पर मां पार्वती और बाबा विश्वनाथ की भव्य बरात यात्रा निकाली जाएगी। इस यात्रा के दौरान एक विशेष पालकी तैयार की जा रही है। यह विशेष पालकी बेहद खास होगी। इसके लिए कश्मीर से लकड़ी मंगवाई गयी हैं। साथ ही रजत सिंहासन भी अनोखा और खास होगा।
कश्मीर से मंगाई गई अखरोट व चिनार की लकड़ी, इससे बनेगी पालकी
बाबा विश्वनाथ की बरात यात्रा के दौरान मां पार्वती के लिए एक विशेष पालकी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है, जिसके लिए कश्मीर से लकड़ी मंगवाई गई हैं। महंत डॉ कुलपति तिवारी के अनुसार जम्मू कश्मीर के शिव भक्त मनीष पंडित ने सिंहासन के लिए अखरोट व चिनार की लकड़ी मुहैया कराई हैं। विश्वनाथ मंदिर स्थित महंत आवास का हिस्सा कॉरीडोर विस्तारीकरण के दौरान अचानक गिर गया था जिसके चलते बाबा का रजत पालकी का सिंहासन व शिवाला क्षतिग्रस्त हो गया था। कश्मीर के मनीष पंडित ने रजत पालकी व शिवाला के लिए चिनार और अखरोट लकड़ी भेजी है।
काष्ठशिल्पी शशिधर प्रसाद व कारीगर अशोक कसेरा के परिवार ने बनाई रजत पालकी
काष्ठशिल्पी शशिधर प्रसाद ने इस पालकी के निर्माण के लिए इसका आकार दिया है। शशिधर प्रसाद उर्फ पप्पू काशी के जगतगंज के निवासी हैं। वहीं दशाश्वमेध घाट के भूतेश्वर गली के कारीगर अशोक कसेरा ने इस सिंहासन के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह अपने परिवार के साथ इसे बनाने में जुटे रहे। इसके निर्माण के लिए कसेरा परिवार ने कोई शुल्क नहीं लिया है। उनका कहना है कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि बाबा विश्वनाथ व मां पार्वती के लिए पालकी बनाने का काम मुझे सौंपा गया।
बाजे गाजे के साथ महंत आवास पर पहुंचा सिंहासन
पालकी तैयार होने के बाद इसे बाजे गाजे के साथ महंत के आवास पर पहुंचा दिया गया है। यह नया सिंहासन टेढ़ीनीम महंत डॉ. कुलपति तिवारी के आवास पर रखा गया है। इसके निर्माण के लिए गठित की गई टीम शिवांजलि के सदस्यों ने ढोल नगाड़ों के बीच जयघोष करते हुए शोभायात्रा निकाली। इसके बाद पालकी को कुलपति आवास तक पहुंचाया गया। एकादशी को इसी पालकी में बाबा विश्वनाथ व माँ पार्वती की बरात यात्रा निकाली जाएगी।
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