वाराणसी : वाराणसी के घाटों पर पहले की तरह गंगा आरती करना अब आसान नहीं रहेगा। अब इसके लिए वाराणसी नगर निगम (वीएमसी) की इजाजत लेनी होगी। बता दें कि काशी में गंगा के अलग-अलग घाटों पर अब तक व्यक्ति और सामाजिक संस्थाएं गंगा आरती करते आए हैं लेकिन अब इसके लिए उन्हें पहले नगर निगम के पास अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। प्रशासन का यह नया फरमान वाराणसी के पंडों एवं पुजारियों को पसंद नहीं आया है। बताया जा रहा है कि नदी तट पर हो रहे अतिक्रमण पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन ने यह आदेश जारी किया है।
गंगा आरती का रिकॉर्ड रखेंगे निगम के अधिकारी
यही नहीं, नगर निगम के अधिकारियों को गंगा आरती का रिकॉर्ड तैयार रखने के लिए कहा गया है। रिपोर्टों के मुताबकि जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने निगम के अधिकारियों को गंगा आरती का रिकॉर्ड तैयार करने और मार्च के अंत तक पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा है। प्रशासन के इस नए आदेश के बाद गंगा आरती के लिए लोगों को पहले नगर निगम से अनुमति लेनी होगी और पंजीकरण कराना होगा।
हर साल कराना होगा नवीनीकरण
वीएमसी को भेजे गए अपने पत्र में जिलाधिकारी ने कहा है कि नदी का तट सार्वजनिक संपत्ति है जिसका मालिकाना हक राज्य सरकार के पास है। नदी तट का देखभाल वाराणसी नगर निगम करता है। उन्होंने कहा, 'ऐसा देखने में अक्सर आया है कि गंगा आरती को लेकर कई लोग विवाद करते हैं। अब घाटों पर गंगा आरती के लिए नगर निगम को कुछ स्पष्ट नियम बनाने चाहिए। वीएमसी को नदी तट पर स्थान के साथ आरती आयोजकों के लिए जगह निर्धारित करते हुए हर साल इसका नवीनीकरण करना चाहिए।'
नोडल अधिकारी की होगी नियुक्ति
जिलाधिकारी का कहना है कि नगर निगम को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिना उसकी इजाजत के कोई भी व्यक्ति या संस्था गंगा आरती न करने पाए। पंजीकरण की इस पूरी प्रक्रिया को देखने के लिए वीएमसी को एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने के लिए भी कहा गया है। काशी में गंगा आरती के पंजीकरण के आदेश के बाद समितियों में हलचल तेज हो गई है। प्रशासन के आदेश के विरोध में कोई खुलकर सामने तो नहीं आया है, लेकिन पंडा समाज दबी जुबान में इसका विरोध कर रहा है।
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