Animal Crematorium: वाराणसी में बन रहा यूपी का पहला पशु शवदाह गृह, राख से बनेगी खाद

UP first animal crematorium:वाराणसी के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि जिले में करीब 5 लाख 50 हज़ार पशु हैं, आधुनिक इलेक्ट्रिक शवदाहगृह बन जाने से अब लोग पशुओं को खुले में नहीं फेकेंगे। 

UP First animal crematorium
ये उत्तर प्रदेश का पहला इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह होगा (प्रतीकात्मक फोटो) 
मुख्य बातें
  • प्रतिदिन 12 जानवरों का हो सकेगा डिस्पोजल, कहीं भी फेंके हुए नहीं दिखेंगे मृत पशु, ना आएगी दुर्गंध
  • यूपी का पहला इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह जल्द हो जाएगा तैयार
  • खाद के रूप में होगा डिस्पोजल के बाद बची राख का इस्तेमाल

UP first animal crematorium in Varanasi: वाराणसी में मृत पशु अब सार्वजनिक स्थानों पर फेंके हुए नहीं दिखेंगे और ना ही इनके सड़ने की दुर्गंध ही आएगी। इसके लिए योगी सरकार खास इंतजाम करा रही है। मोक्ष की भूमि काशी में अब पशुओं का भी शवदाह संभव हो सकेगा। इसके लिए मनुष्यों की तरह अब पशुओं का शवदाह गृह वाराणसी में बन रहा है। ये उत्तर प्रदेश का पहला इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह होगा, जो अगले महीने तक बनकर तैयार हो जाएगा। चोलापुर विकासखंड क्षेत्र में बन रहे इस इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह की लागत 2.24 करोड़ रुपये है। 

अबतक नहीं थी मृत पशुओं के डिस्पोजल की व्यवस्था
विश्व पर्यटन के मानचित्र पर तेजी से उभर रहे वाराणसी का कायाकल्प भी तीव्र गति से हो रहा है। प्राचीनता को संजोए हुए काशी आधुनिकता से तालमेल बनाए हुए तेजी से विकास कर रही है। वाराणसी में पशुपालन का व्यवसाय भी तेजी से बढ़ा है, लेकिन पशुओं के मरने के बाद उनके डिस्पोजल की व्यवस्था अबतक नहीं थी। पशुपालक या तो इन्हें सड़क किनारे किसी खेत में फेंक देते थे या चुपके से गंगा में विसर्जित कर देते थे, जिससे दुर्गंध के साथ साथ प्रदूषण भी फैलता था, साथ ही मृत पशुओं को फेंकने को लेकर आये दिन मारपीट तक की नौबत आ जाती थी। अब योगी सरकार पशुओं के डिस्पोजल के लिए इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह का निर्माण वाराणसी के चिरईगॉव ब्लॉक के जाल्हूपुर गांव में करा रही। 

एक दिन में 10-12 पशुओं का हो सकेगा शवदाह 
अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत, अनिल कुमार सिंह ने बताया कि 0.1180 हेक्टेयर जमीन पर 2.24 करोड़ की लगात से इलेक्ट्रिक पशु शवदाह गृह बनाया जा रहा है। ये शवदाह गृह बिजली से चलेगा। भविष्य में आवश्यकता अनुसार इसे सोलर एनर्जी व गैस पर आधारित करने का भी प्रस्ताव है। इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की क्षमता करीब 400 किलो प्रति घंटा के डिस्पोजल की है। ऐसे में एक घंटे में एक पशु का और एक दिन में 10 से 12 पशुओं का डिस्पोजल यहां किया जा सकेगा। 

डिस्पोजल के बाद बची राख से बनेगा खाद 
अधिकारी के अनुसार डिस्पोजल के बाद बची राख का इस्तेमाल खाद में हो सकेगा। पशुपालकों को और किसानों को डिस्पोजल और खाद का शुल्क देना होगा या ये सेवा नि:शुल्क होगी, इसका निर्णय जिला पंचायत बोर्ड की बैठक जल्द तय होगा। मृत पशुओं को उठाने के लिए जिला पंचायत पशु कैचर भी खरीदेगा। 

अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हो रही थी काशी की छवि
आध्यात्म, धर्म और संस्कृति की राजधानी वाराणसी का पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। पहले की सरकारों ने पशुओं के आश्रय स्थल और उनके मौत के बाद डिस्पोजल का कोई प्रबंध नहीं किया था, जिससे जल प्रवाह रुकने और खुले में पशुओं के फेंकने से दुर्गंध फैलने और प्रदूषण का खतरा रहता था, जिससे देश व विदेश के पर्यटकों के बीच काशी की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल होती थी।

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