बनारस में ट्रांसजेंडर्स के लिए बनाया गया शौचालय, प्रदेश में पहली बार हुई ये पहल

उत्तर प्रदेश की प्रमुख धार्मिक और सांस्‍कृतिक नगरी एवं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जिला प्रशासन ने अनोखी पहल की है जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है।

UP's 1st transgender toilet opens in Varanasi city
UP's 1st transgender toilet opens in Varanasi city 
मुख्य बातें
  • वाराणसी में जिला प्रशासन ने अनोखी पहल की है जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है।
  • बनारस प्रशासन द्वारा ट्रांसजेंडर्स यानि किन्‍नरों को बड़ी सौगात दी गई है।

वाराणसी। उत्तर प्रदेश की प्रमुख धार्मिक और सांस्‍कृतिक नगरी एवं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जिला प्रशासन ने अनोखी पहल की है जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है। यहां ट्रांसजेंडर्स यानि किन्‍नरों को बड़ी सौगात दी गई है। प्रशासन ने वाराणसी में प्रदेश के पहले ट्रांसजेंडर शौचालय का निर्माण कराया है। यह शौचालय शहर के कामाक्षा इलाके में बना है। इसका मकसद शहर की सफाई में किन्नरों की भी भागीदारी सुनिश्चित करना है। 

उत्‍तर प्रदेश में यह पहल पहली बार किसी शहर में हुई है। ट्रांसजेंडर्स के लिए बनाए गए पहले शौचालय का उद्घाटन महापौर मृदुला जायसवाल ने किया। यह शौचायल स्मार्ट सिटी योजना के तहत कामाक्षा इलाके में तैयार हुआ है। इसी तरह शहर में चार और स्थानों पर शौचालय का निर्माण कराया जाएगा। ट्रांसजेंडर की परेशानी को देखते हुए यह कदम काफी अहम माना जा रहा है। अन्‍य शौचालयों के निर्माण के लिए ऐसे इलाके चुने जा रहे हैं जहां पर ट्रांसजेंडरों की संख्या ज्यादा है। 

बता दें कि काशी नगरी का महत्‍व पुरातन काल से है और बाबा विश्‍वनाथ की यह नगरी काफी अहम मानी जाती है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात से केंद्र की राजनीति में आए तो उन्‍होंने संसदीय क्षेत्र के रूप में इसी जगह को चुना। यही वजह है कि पहले इस नगरी का विकास पीएम मोदी और अब सीएम योगी आदित्‍यनाथ की प्राथमिकता में शामिल है। 

काशी नगरी में 18 हजार करोड़ की परियोजनाएं का लोकार्पण और शिलान्यास पिछले छह वर्षों में हुआ है। केंद्र के साथ साथ प्रदेश सरकार की भी काशी पर पूरी नजर है और यहां हर व्‍यक्ति तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाना लक्ष्‍य में शामिल है।

नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया कि लंबे समय से शहर में ट्रांसजेंडरों के लिए सामुदायिक शौचालय की मांग थी जिसे प्रशासन ने पूरा किया है। वहीं किन्‍नरों ने भी इस कदम की प्रशंसा की। उनका कहना है कि अभी तक शहर में जब भी वो घूमते थे तो शौचालय न होने परेशानियों का सामना करना पड़ता था। महिला और पुरुष दोनों ही शौचालय में उन्हें जाने में हेय की नजरों से देखा जाता था।

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