वाराणसी के अधिकारियों को आरटीआई का जवाब न देना पड़ा भारी, राज्य सूचना आयुक्त ने अधिकारियों पर लगाया अर्थदंड

Varanasi RTI News: वाराणसी में सूचना अधिकार के तहत समय से जवाब न देने पर अधिकारियों पर सूचना आयुक्त ने कार्रवाई की। सर्किट हाउस सभागार में आयोजित वर्कशॉप में जन सूचना अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि जिले के 125 अधिकारियों पर प्रार्थना पत्रों के जवाब नहीं दिए जाने और कार्य में शिथिलता बरतने पर जुर्माना लगाया गया है।

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वाराणसी सर्किट हाउस सभागार   |  तस्वीर साभार: Facebook
मुख्य बातें
  • वाराणसी में सूचना अधिकार के तहत जवाब न देने पर अधिकारियों पर लगा अर्थदंड
  • राज्य सूचना आयुक्त ने आयोजित वर्कशॉप में जन सूचना अधिकारियों को दिए दिशा-निर्देश
  • वाराणसी जिले के 125 अधिकारियों पर कार्य में शिथिलता बरतने पर जुर्माना लगाया गया

Varanasi RTI News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में सूचना अधिकार के तहत जवाब न देने पर अधिकारियों पर अर्थदंड लगाया गया है। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने की है। वाराणसी के सर्किट हाउस सभागार में आयोजित वर्कशॉप में उन्होंने जन सूचना अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि फरवरी 2022 से अब तक वाराणसी जिले के 125 अधिकारियों पर प्रार्थना पत्रों के जवाब नहीं दिए जाने और कार्य में शिथिलता बरतने पर जुर्माना लगाया गया है।

किसी भी अधिकारी की आरटीआई जवाब को लेकर ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं  होगी। उन्होंने अधिकारियों पर नाराजगी दिखाते हुए कहा कि यह अर्थदंड संबंधित सभी अधिकारियों के वेतन से काटकर राजकोष में जमा कराया जाएगा। 

दो दिन सर्किट हाउस सभागार में होगी सुनवाई 

सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने कहा कि मंगलवार और बुधवार को इन दो दिनों में सर्किट हाउस सभागार में 250 प्रकरणों की सुनवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सुनवाई सूचना आयोग, लखनऊ में होने पर लोगों को आने-जाने में समय और पैसा फालतू खर्च व अन्य बहुत सी समास्याओं को फेस करना होता है। इसलिए आयोग ने सुनवाई करने के लिए सभी जिलों में व्यवस्था की है। 

प्राथमिकता के आधार पर प्रार्थना पत्रों का निस्तारण

सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने जन सूचना अधिकार अधिनियम की भावना के अनुसार प्रार्थना पत्रों का निस्तारण समय से करने का अधिकारियों को दिशा- निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि प्रार्थना पत्रों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित करें। जिससे, बिना वजह आयोग की कार्रवाई से आप बच सकें। जन सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 4-1 बी का अनुपालन सुनिश्चित कराएं। वहीं आवेदक को प्रमाणित जवाब उपलब्ध कराया जाए और जो भी प्रार्थना पत्र उनसे या उनके विभाग से संबंधित नहीं हो, उन्हें संबंधित अधिकारी और विभाग को हर दशा में पांच दिनों के अंदर भेज दें, जिससे उस पत्र पर भी समय से कार्य हो सके।

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