वाराणसी के काशी विद्यापीठ में नहीं होगी पानी की किल्लत, बनेंगे 'अमृत सरोवर'

Amrit Sarovar: वाराणसी में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए अब अमृत सरोवर बनाए जाएंगे। इनका निर्माण काशी विद्यालय प्रखंड क्षेत्र में किया जाना है। प्रखंड के उन गांवों का चयन कर लिया गया है, जहां अमृत सरोवर बनाए जाने हैं।

Amrit Sarovar will remove water scarcity
पानी की किल्लत दूर करेंगे अमृत सरोवर  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • सात गांवों में बनाया जाना है 'अमृत सरोवर'
  • एक करोड़ रुपए की लागत से सरोवर का करना है निर्माण
  • बीडीओ और जनप्रतिनिधियों ने निर्माण कार्य का किया है शिलान्यास

Kashi Vidyapeeth: वाराणसी के काशी विद्यापीठ ब्लॉक क्षेत्र में अब पानी की किल्लत नहीं होगी। इस प्रखंड क्षेत्र के सात गांवों में अमृत सरोवर बनाए जाएंगे। इन सातों गांवों में अमृत सरोवर के निर्माण पर एक करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इनके निर्माण कार्य का शिलान्यास प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) और जनप्रतिनिधि कर चुके हैं। अमृत सरोवर का निर्माण प्रखंड के कोरौता, भट्ठी, टीकरी, कुरहुआ, अनंतपुर, बंदेपुर में होगा। 

कुरहुआ में अमृत सरोवर के निर्माण कार्य का शिलान्यास के समय प्रखंड विकास अधिकारी डॉ. रक्षिता सिंह, भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा, अपना दल (एस) के जिला अध्यक्ष नरेंद्र पटेल आदि मौजूद रहे। 

एक सप्ताह में कराया जाएगा अमृत सरोवर का निर्माण

शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान बीडीओ डॉ. रक्षिता सिंह ने बताया कि कुरहुआ में अमृत सरोवर का निर्माण अगले एक सप्ताह में पूरा करा लिया जाएगा। इसके बाद इस तालाब को सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए खोल दिया जाएगा। इधर, पिंडरा के चुरापुर में अमृत सरोवर तालाब के भूमि पूजन में ब्लॉक प्रमुख रविशंकर सिंह ने बताया कि 12 पंचायतों में अमृत सरोवर तालाब बनवाया जाएगा। अमृत सरोवर तालाब के तहत घाट, सीढ़ी, पौधरोपण, पानी की व्यवस्था, लाइट, जिम, पथ-वे बनवाया जाएगा। 

आज से औरा गांव में होगी खुदाई

वहीं, हरहुआ के औरा गांव में शनिवार से अमृत सरोवर के लिए खुदाई शुरू हो जाएगी। इस सरोवर के निर्माण पर 11.27 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। बीडीओ धर्मेंद्र प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि जल्द ही निर्माण कार्य पूरा करा लिया जाएगा। अगले दो दिनों तक खुदाई कार्य चलने की उम्मीद है। फिर फिनिशिंग का काम होगा। इस अमृत सरोवर का निर्माण पूरा होने से गांव की एक बड़ी आबादी को पानी की किल्लत से राहत मिलेगी। पशुपालक की भी चिंता दूर होगी। वह अपने मवेशियों को स्वच्छ पानी पिला सकेंगे। इसके अतिरिक्त छोटे से क्षेत्र में लगी फसल की सिंचाई में भी सहूलियत होगी। 

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