भारतीयों की देन नहीं है डाकघर, तो किसने और क्यों शुरू की ये सेवा

भारतीयों की देन नहीं है डाकघर, तो किसने और क्यों शुरू की ये सेवा

Neelaksh Singh

Mar 31, 2025

251 साल पुरानी हुई डाकघर की कहानी

​251 साल पुरानी हुई डाकघर की कहानी​

आज से ठीक 251 साल पहले यानी 31 मार्च 1774 को भारत में पहलर डाकघर खुला था।

Credit: canva

भारत का पहला डाकघर

​भारत का पहला डाकघर​

किसे पता था एक दिन ये देश की संचार प्रणाली की रीढ़ बन जाएगा।

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भारत में डाक सेवा की शुरुआत

​भारत में डाक सेवा की शुरुआत​

भारत में डाक सेवा की शुरुआत के पीछे थे बंगाल के पहले गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स।

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​देश का पहला डाकघर​

31 मार्च 1774 को गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में देश का पहला डाकघर खोला।

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​भारत को जोड़ा​

यह न केवल एक डाकघर था, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था की शुरुआत थी, जिसने आने वाले वर्षों में भारत के कोने-कोने को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।

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​भारत में तेजी से फैलता ब्रिटिश शासन​

ये वो दौर था जब 1770 के दशक में भारत में ब्रिटिश शासन तेजी से फैल रहा था, लेकिन इस विस्तार के साथ सबसे बड़ी चुनौती थी देशभर में 'संचार'।

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​डाकघर से पहले क्या था तरीका​

उस दौर में व्यापारियों, सैनिकों और अधिकारियों के बीच पत्र व्यवहार के लिए कोई सही तरीका नहीं था। पत्र भेजने का काम निजी दूतों या व्यापारिक जहाजों पर निर्भर था, जो महंगा भी था और भरोसेमंद भी नहीं था।

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​वारेन हेस्टिंग्स ने दिया समाधान​

वारेन हेस्टिंग्स ने इस समस्या को पहचाना। उनके दिमाग में एक ऐसी डाक सेवा की कल्पना थी, जो न केवल प्रशासन को मजबूत करे, बल्कि आम लोगों तक भी पहुंचे।

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​पहले डाक घर का नाम​

देश का पहला डाकघर कलकत्ता में खुला, जिसे 'कलकत्ता जनरल पोस्ट ऑफिस' नाम दिया गया। भले ये छोटी सी शुरुआत थी, लेकिन इसने भारत में डाक व्यवस्था की आधारशिला रखी।

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